प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को लुआंग प्रबांग के प्रतिष्ठित रॉयल थियेटर द्वारा प्रस्तुत रामायण के लाओ रूपांतरण फलक-फलम का एक एपिसोड देखा। इसके बाद उन्होंने वियनतियाने पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों से बातचीत भी की। लाओस में होटल के बाहर उनसे मिलने के लिए उत्साहित भारतीय समुदाय के लोगों का प्रधानमंत्री मोदी ने अभिवादन किया। रामायण देखने से पहले प्रधानमंत्री ने लाओ पीडीआर के सेंट्रल बुद्धिस्ट्स द फैलोशिप ऑफ ऑर्गनाइजेशन के वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं द्वारा एक आशीर्वाद समारोह में भाग लिया। उल्लेखनीय है, प्रधानमंत्री मोदी 21वें आसियान-भारत और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर लाओस में हैं।
प्रधानमंत्री मोदी आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आज (10 अक्टूबर) दो दिवसीय यात्रा पर लाओस पहुंचे हैं, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। लाओस के लोगों ने होटल डबल ट्री में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करते हुए हिन्दी में अभिवादन किया। भारतीय प्रवासियों और लाओस समुदाय के लोगों ने गायत्री मंत्र का पाठ भी किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि पीएम मोदी ने लुआंग प्राबांग के प्रतिष्ठित रॉयल थिएटर द्वारा प्रस्तुत लाओ रामायण जिसे फलक फलम या फ्रा लक फ्रा राम कहा जाता है की एक श्रृंखला (एपिसोड) देखी। इस अवसर पर गृह मंत्री, शिक्षा और खेल मंत्री, बैंक ऑफ लाओ पीडीआर के गवर्नर और वियनतियाने के मेयर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
दरअसल लाओस में आज भी रामायण के प्रति लोगों में काफी उत्साह है। यह महाकाव्य दोनों देशों के बीच साझा विरासत और सदियों पुरानी सभ्यता के संबंध को दर्शाता है। भारतीय संस्कृति और परंपरा के कई पहलुओं को सदियों से लाओस में अनुप्रयोग और संरक्षित किया गया है। दोनों देश अपनी साझा विरासत को संवारने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लाओस में वाट फू मंदिर और संबंधित स्मारकों के जीर्णोद्धार में शामिल है।
रामायण देखने से पहले प्रधानमंत्री ने लाओ पीडीआर के सेंट्रल बुद्धिस्ट्स द फैलोशिप ऑफ ऑर्गनाइजेशन के वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं द्वारा एक आशीर्वाद समारोह में भाग लिया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “लाओ पीडीआर में सम्मानित भिक्षुओं और आध्यात्मिक नेताओं से मुलाकात हुई, जो भारतीय लोगों द्वारा पाली को दिए जा रहे सम्मान को देखकर खुश थे। मैं उनके आशीर्वाद के लिए उनका आभारी हूं।”
इस समारोह का नेतृत्व वियनतियाने में सी साकेत मंदिर के मठाधीश महावेथ मसेनई ने किया। भारत और लाओस के बीच साझा बौद्ध विरासत घनिष्ठ सभ्यतागत संबंधों के एक और पहलू का प्रतिनिधित्व करती है।