भारतीय सांख्यिकी सेवा (आईएसएस) के 2024 बैच के प्रोबेशनर्स के एक समूह ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। प्रोबेशनर्स को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने आईएसएस अधिकारियों से डेटा एकत्र करते समय आम लोगों खासकर गरीबों और वंचितों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एकत्र किए गए सभी आंकड़ों को संसाधित और विश्लेषित किया जाएगा और अंततः लोगों की जरूरतों को पूरा करने और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करने के लिए उपयोग किया जाएगा।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि सांख्यिकी उपकरण और मात्रात्मक तकनीक नीतिगत निर्णयों के लिए अनुभवजन्य आधार प्रदान करके प्रभावी शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकारें स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या आकार और रोजगार आदि पर डेटा एकत्र करने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों पर निर्भर करती हैं, जो नीति-निर्माण का आधार बनती हैं। सांख्यिकी विश्लेषण शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का एक उपकरण है। सांख्यिकी न केवल कुशल शासन की रीढ़ है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास का एक उपकरण भी है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार को नीतियों को बनाने, लागू करने और निगरानी करने के साथ-साथ नीति समीक्षा और प्रभाव आकलन के लिए डेटा की आवश्यकता होती है। नागरिकों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की निष्पक्ष समझ और आकलन के लिए डेटा की आवश्यकता होती है। आईएसएस अधिकारियों के काम के लिए सांख्यिकीय तरीकों में उच्च दक्षता की आवश्यकता होती है, जिसका उपयोग वे देश की डेटा और सूचना आवश्यकताओं के समाधान प्रदान करने के लिए करेंगे।
इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मु ने आईएसएस अधिकारियों से डेटा एकत्र करते समय आम लोगों खासकर गरीबों और वंचितों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एकत्र किए गए सभी आंकड़ों को संसाधित और विश्लेषित किया जाएगा और अंततः लोगों की जरूरतों को पूरा करने और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करने के लिए उपयोग किया जाएगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि जैसे-जैसे भारत समावेशी और सतत विकास की ओर बढ़ रहा है, पर्यावरणीय प्रभावों और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में सांख्यिकीय अनुसंधान एक बड़ी भूमिका निभाएगा। ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन से संबंधित संकेतकों पर नज़र रखने के लिए आईएसएस अधिकारियों द्वारा किए गए शोध से भारत सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए डेटा-संचालित रणनीति बनाने में सक्षम हो सकता है। ये रणनीतियां भारत को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने में और मदद करेंगी।