केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) 10वें इंटरपोल संपर्क अधिकारी सम्मेलन आज गुरुवार को नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय में आयोजित किया गया। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने इस मौके पर कहा कि अपराध के लिए सुरक्षित पनाहगाह और दुनिया में कहीं भी अपराध व आतंकवाद की आय किसी भी देश के लिए एक गंभीर खतरा है। इन्हें रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच घनिष्ठ समन्वय और वास्तविक सहयोग की आवश्यकता है।
इस वर्ष आईएलओ का सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग दिवस की पूर्व संध्या पर ‘अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन भागीदारी को सुदृढ़ करना’ विषय पर आयोजित किया गया है। अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय गृह सचिव माेहन ने कहा कि अपराध और अपराधियों के अंतर्राष्ट्रीय विस्तार ने विदेशों में जांच की आवश्यकता को बढ़ा दिया है। अपराध की रोकथाम, पहचान, जांच और अभियोजन डिजिटल साक्ष्य और विदेश स्थित साक्ष्य पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि परस्पर जुड़ी दुनिया को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जुड़े पुलिसिंग की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि अपराधियों और कानून से भगोड़ों को अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध नेटवर्क, ऑनलाइन कट्टरता, नशीली दवाओं के अवैध प्रवाह, हथियार बेचने, साइबर अपराध, ऑनलाइन बाल यौन शोषण, मानव तस्करी, वन्यजीव और पर्यावरणीय अपराधों,आर्थिक अपराधों व अपराध की आय के शोधन शामिल हैं।
केंद्रीय गृह सचिव ने 90वीं इंटरपोल महासभा के समापन सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री के संबोधन को उद्धृत करते हुए कहा, “आतंकवाद मानव अधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है। डेटा और सूचना में क्रांति के इस युग में अपराध और अपराधियों की प्रकृति बदल गई है। आज अपराध सीमाहीन हो गया है। अगर हम इस तरह के अपराध और इन अपराधियों को रोकना चाहते हैं, तो हम सभी को पारंपरिक भौगोलिक सीमाओं से परे सोचना होगा, इसलिए हमें इस पर सोचना और कार्रवाई करनी होगी।”
सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद ने कहा कि आज दुनिया आतंकवाद, ऑनलाइन कट्टरता, साइबर सक्षम वित्तीय अपराधों, ऑनलाइन बाल यौन शोषण, भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी, आतंक के वित्तपोषण और संगठित अपराध जैसे गंभीर और वैश्वीकृत बहु-अपराधों और खतरों का सामना कर रही है। भारत में पुलिस मजबूत कानूनी ढांचे, अभिनव पहल, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के संयोजन के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करने में सबसे आगे रही है। उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन पेशेवरों को आपराधिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहायता के समन्वय के विभिन्न साधनों से अच्छी तरह परिचित होने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि सीबीआई के ग्लोबल ऑपरेशन सेंटर ने 2023 में 17,368 अंतर्राष्ट्रीय सहायता अनुरोधों पर अमल किया और भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा वांछित अपराधियों और भगोड़ों पर इंटरपोल द्वारा 100 रेड नोटिस जारी किए गए हैं, जो एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक है। उन्होंने यह भी बताया कि इंटरपोल और अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन भागीदारों के साथ 2023 में 29 वांछित अपराधियों और 2024 में अब तक 19 वांछित अपराधियों को भारत वापस लाया गया है।
इस माैके पर वक्ताओं ने एक स्वर में स्वीकार किया कि अपराध का वैश्वीकरण एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इन खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए देशों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ घनिष्ठ सहयोग और साझेदारी की आवश्यकता है। सीबीआई अपराध और आतंकवाद से होने वाली आय का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग के औपचारिक और अनौपचारिक साधनों के उपयोग में पर्याप्त वृद्धि करने की दृष्टि से वर्ष 2003 से अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का सम्मेलन आयोजित कर रही है।