उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है, इससे राज्य की कनेक्टिविटी में एक बड़े बदलाव की उम्मीद है। यह रेल मार्ग कुल 125.20 किलोमीटर लंबा है और इसका लगभग 83% हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। इस परियोजना में 16 मुख्य सुरंगें बनाई जा रही हैं, जिनकी कुल लंबाई 104 किलोमीटर होगी। इसके अलावा 12 आपातकालीन सुरंगें (Escape Tunnels) और 7 किलोमीटर से ज्यादा की क्रॉस-पैसेज भी बनाई जा रही हैं। सबसे लंबी सुरंग 14.58 किलोमीटर लंबी होगी।
वहीं रेल मार्ग में 14 पुल भी बनाए जा रहे हैं, जिनमें 5 बड़े और महत्वपूर्ण हैं। सबसे ऊंचा पुल गौचर ब्रिज (Br-15) है, जिसकी ऊंचाई 46.99 मीटर है। सबसे लंबा पुल श्रीनगर ब्रिज (Br-09) है, जिसकी लंबाई 489 मीटर है। देवप्रयाग ब्रिज (Br-06) की सबसे लंबी स्पैन (खंड) 125 मीटर की है। इसके अलावा परियोजना में 6 सड़क पुल, 2 रोड ओवरब्रिज और 38 छोटे पुल भी बनाए जा रहे हैं, इससे सड़क और रेल दोनों का अच्छा तालमेल हो सकेगा। इस रूट पर 12 नए स्टेशन भी बनाए जा रहे हैं, जो स्थानीय लोगों की यात्रा को और भी आसान बनाएगा।
रेल लाइन के कुछ हिस्से (18.43 किलोमीटर) खुले क्षेत्र से होकर गुजरेंगे, जहां कटाई और मिट्टी भराई का कार्य किया जाएगा। यह कुल रूट का 14.72% हिस्सा होगा। इस परियोजना के पूरा होने के बाद, यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा, पर्यटन को बढ़ावा और स्थानीय लोगों तथा तीर्थयात्रियों को एक सुरक्षित और तेज यातायात की सुविधा मिलेगी। यह रेल लाइन उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र को भारत के बाकी हिस्सों से सीधे जोड़ देगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस रेल परियोजना को राज्य के विकास, संपर्क और समृद्ध भविष्य की आधारशिला बताया है। उन्होंने कहा कि परियोजना का पहला चरण 2026 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देवभूमि अब विकास की पटरी पर दौड़ रही है। इस परियोजना का हर स्टेशन, सुरंग और पुल हमारे पहाड़ों पर रेलवे का सपना साकार कर रहा है।”-(With Input ANI)