भारत के वैज्ञानिकों ने चुनौतीपूर्ण रक्त-मस्तिष्क अवरोध (BBB) को दूर करते हुए सीधे मस्तिष्क तक तपेदिक (TB) की दवाएं पहुंचाने का एक अनूठा तरीका बनाया है, जो कई मस्तिष्क टीबी दवाओं की प्रभावशीलता को सीमित करता है। यह अनूठी दवा वितरण विधि मस्तिष्क टीबी का प्रभावी ढंग से उपचार कर सकती है, जो उच्च मृत्यु दर के साथ जीवन के लिए एक गंभीर स्थिति है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी दी है।
वैज्ञानिकों की टीम ने चिटोसन नैनो-एग्रीगेट्स विकसित किए
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बताया कि राहुल कुमार वर्मा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने कृष्ण जाधव, अग्रिम जिल्टा, रघुराज सिंह, यूपा रे, विमल कुमार, अवध यादव और अमित कुमार सिंह के साथ मिलकर चिटोसन नैनो-एग्रीगेट्स विकसित किए, जो चिटोसन से बने नैनोकणों के छोटे समूह हैं, जो एक बायोकम्पैटिबल और बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है। इन छोटे कणों को नैनोकणों के रूप में जाना जाता है, फिर उन्हें नैनो-एग्रीगेट्स नामक थोड़े बड़े समूहों में बनाया गया, जिन्हें नाक से आसानी से पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वे आइसोनियाज़िड (INH) और रिफैम्पिसिन (RIF) जैसी टीबी दवाओं को नियंत्रित कर सकते हैं।
सेंट्रल नर्वस सिस्टम टीबी, टीबी के सबसे गंभीर रूपों में से एक
टीबी मस्तिष्क को प्रभावित करता है, जिसे सेंट्रल नर्वस सिस्टम टीबी (CNS-TB) कहा जाता है, टीबी के सबसे गंभीर रूपों में से एक है, जो अक्सर गंभीर जटिलताओं या मृत्यु का कारण बनता है। सीएनएस-टीबी के उपचार में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह है कि टीबी के उपचार के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाएँ रक्त-मस्तिष्क अवरोध (बीबीबी) नामक एक सुरक्षात्मक अवरोध के कारण मस्तिष्क तक पहुँचने में बाधा का सामना करती हैं। यह अवरोध कई दवाओं को मस्तिष्क में प्रवेश करने से रोकता है, जिससे उनकी प्रभावशीलता सीमित हो जाती है।
उल्लेखनीय है पारंपरिक उपचारों में मौखिक एंटी-टीबी दवाओं की उच्च खुराक शामिल होती है, लेकिन ये अक्सर रक्त-मस्तिष्क अवरोध (बीबीबी) के कारण मस्तिष्कमेरु द्रव में प्रभावी सांद्रता प्राप्त करने में विफल हो जाते हैं।
नाक से मस्तिष्क की दवा वितरण
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (INST), मोहाली के वैज्ञानिकों ने टीबी की दवाइयों को बीबीबी के बिना नाक के माध्यम से सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाने के लिए चिटोसन नामक एक प्राकृतिक पदार्थ से बने सूक्ष्म कणों का उपयोग किया। दवा वितरण तकनीक का उपयोग नाक से मस्तिष्क (एन2बी) दवा वितरण के लिए किया गया था, जो बीबीबी को बायपास करने के लिए नाक गुहा में घ्राण और ट्राइजेमिनल तंत्रिका मार्गों का उपयोग करता है। नाक के रास्ते से दवा पहुँचाने से, नैनो-एग्रीगेट दवाओं को सीधे मस्तिष्क में पहुंचा सकते हैं, जिससे संक्रमण स्थल पर दवा की जैव उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार होता है।
नया उपचार संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम करने में भी करता है मदद
मंत्रालय ने कहा कि यह अध्ययन इस प्रकार का पहला अध्ययन है कि इन उन्नत कणों का उपयोग करके नाक के माध्यम से टीबी की दवा पहुंचाने से मस्तिष्क टीबी का प्रभावी ढंग से उपचार किया जा सकता है। नया उपचार न केवल यह सुनिश्चित करता है कि दवा मस्तिष्क तक पहुँचे बल्कि संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम करने में भी मदद करता है। नैनोस्केल (रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री) पत्रिका में प्रकाशित इस खोज में मस्तिष्क टीबी से पीड़ित लोगों के उपचार में काफी सुधार करने की क्षमता है और यह तेजी से स्वस्थ होने में सहायता कर सकता है।
इसका उपयोग मस्तिष्क में दवा की प्रभावी आपूर्ति सुनिश्चित करके अन्य मस्तिष्क संक्रमणों, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों (जैसे अल्जाइमर और पार्किंसंस), मस्तिष्क ट्यूमर और मिर्गी के उपचार में किया जा सकता है।