स्टॉक मार्केट के SME प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होने वाली छोटी और मझौली कंपनियों की लिस्टिंग को लेकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। निर्देश में बैंकर्स को कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले आंकड़ों को हर स्तर पर चेक करने के लिए कहा गया है, ताकि कंपनियां अपने आईपीओ ड्राफ्ट में आंकड़ों को बढ़ा चढ़ा कर न दिखा सकें। कंपनियों ने आईपीओ ड्राफ्ट में की जाने वाली किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता लगाने के लिए बैंकर्स को कंपनी के ठिकाने पर जाकर सारे डिटेल चेक करने का भी निर्देश दिया है।
SME प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होने वाली कंपनियां में निवेश को लेकर रहें सतर्क
मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) एसएमई प्लेटफॉर्म पर होने वाली लिस्टिंग के नियमों को और सख्त बनाने की बात कह चुका है। सेबी ने एक्सचेंजों के साथ ही ऑडिटर्स को भी एसएमई लिस्टिंग को लेकर सतर्क रहने का निर्देश दिया है। मार्केट रेगुलेटर ने स्पष्ट किया है कि आईपीओ ड्राफ्ट में जिस कंपनी की भी जानकारी पर शक हो, उसकी लिस्टिंग को टाल देना चाहिए। सेबी इसके पहले निवेशकों के लिए भी एसएमई प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होने वाली कंपनियां में किए जाने वाले निवेश को लेकर सतर्क रहने की चेतावनी जारी कर चुका है।
कारोबार को गलत तरीके से बड़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करते हैं
आरोप है कि कई छोटी और मझोली कंपनियां और उनके प्रोमोटर्स आईपीओ ड्राफ्ट में अपने कारोबार को गलत तरीके से बड़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करते हैं, जिसकी वजह से रिटेल इन्वेस्टर्स को आगे चलकर काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दोनों जगह पर लिस्ट होने वाली मेनबोर्ड कंपनियां के आईपीओ ड्राफ्ट की जांच खुद सेबी द्वारा की जाती है, जबकि एसएमई सेगमेंट की कंपनियों के आईपीओ ड्राफ्ट की जांच की जिम्मेदारी उसी एक्सचेंज की होती है, जिसके एसएमई प्लेटफॉर्म पर उसे कंपनी के शेयर लिस्ट होते हैं।
एसएमई प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ी
माना जा रहा है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा बैंकर्स को दिए गए निर्देश के बाद छोटी और मझोली कंपनियां के आईपीओ पर कुछ लगाम लग सकेगा। हाल के दिनों में एसएमई प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होने वाली कंपनियों की संख्या काफी बढ़ गई है। इन कंपनियों के आईपीओ को जोरदार रिस्पॉन्स भी मिल रहा है। कुछ कंपनियों के आईपीओ तो 500 गुना से अधिक सब्सक्राइब हो चुके हैं। ऐसे में मार्केट रेगुलेटर सेबी को शक है की बाजार की तेजी से प्रभावित होकर रिटेल इन्वेस्टर्स गलत कंपनियों के चंगुल में भी फंस सकते हैं। यही कारण है की सेबी अपनी ओर से तो सख्ती कर ही रहा है, उसने एक्सचेंजों को भी और अधिक सतर्क रहने का निर्देश दिया है, ताकि रिटेल इन्वेस्टर्स के हितों की सुरक्षा की जा सके।