मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने स्टॉक एक्सचेंज मैकेनिज्म के जरिए डेट सिक्योरिटीज में लिक्विडिटी विंडो फैसिलिटी शुरू करने का ऐलान किया है। लिक्विडिटी विंडो फैसिलिटी 1 नवंबर से शुरू हो जाएगी।
रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए होगी काफी मददगार साबित
इसकी शुरुआत होने से लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज रखने वाले इन्वेस्टर्स पहले से तय तारीखों पर पुट ऑप्शन का इस्तेमाल करके इन सिक्योरिटीज को वापस बेच सकते हैं। दावा किया जा रहा है कि इससे लिक्विडिटी सुनिश्चित होगी और ये विशेष रूप से खुदरा निवेशकों (रिटेल इन्वेस्टर्स) के लिए काफी मददगार साबित होगी। इसके साथ ही डेट सिक्योरिटीज में खुदरा निवेशकों का निवेश बढ़ाने में भी मददगार होगी।
लिक्विडिटी सुधारने के लिए छोटे और खुदरा निवेशकों का पार्टिसिपेशन
सेबी की जांच में ये बात सामने आई थी कि कई इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स कॉर्पोरेट बॉन्ड्स को उनकी मैच्योरिटी तक बचाए रखते हैं, जिसके कारण उनमें ट्रेडिंग एक्टिविटी काफी कम होती है। यही वजह है कि इन बॉन्ड्स को इलिक्विड भी माना जाता है। ऐसी स्थिति में इनकी लिक्विडिटी को सुधारने के लिए इसमें छोटे और खुदरा निवेशकों का पार्टिसिपेशन बढ़ाना आवश्यक समझ गया। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सेबी ने एक स्पेशल फ्रेमवर्क तैयार किया है, जिसके तहत लिक्विडिटी विंडो फैसिलिटी दी जा सकेगी।
बोर्ड लेवल कमेटी की ओर से बोर्ड की मंजूरी और निगरानी की जरूरत
सेबी के सर्कुलर में बताया गया है कि इस सुविधा के लिए स्टेकहोल्डर रिलेशनशिप कमेटी (एसआरसी) या इसके समकक्ष बोर्ड लेवल कमेटी की ओर से बोर्ड की मंजूरी और निगरानी की जरूरत होगी। ये निवेशकों के प्रति पूरी तरह से पारदर्शी, ऑब्जेक्टिव ओर गैर भेदभावपूर्ण होनी चाहिए। लिक्विडिटी विंडो फैसिलिटी जारी होने के बाद 1 साल तक उपलब्ध रहेगी। इस योजना के तहत सिक्योरिटीज को दोबारा जारी नहीं किया जा सकता है। सेबी के सर्कुलर में बताया गया है कि सिक्योरिटीज के इश्यूअर इसकी पात्रता को सभी निवेशकों या सिर्फ खुदरा निवेशकों तक भी सीमित कर सकते हैं। हालांकि इसमें सिक्योरिटीज को डीमैट में रखने की शर्त लगाई गई है। इसके साथ ही इश्यू साइज का कम से कम 10 प्रतिशत लिक्विडिटी विंडो फैसिलिटी के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए।