प्रतिक्रिया | Saturday, September 07, 2024

देश में तीन नए आपराधिक कानून यानि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 आज एक जुलाई 2024 से लागू गए हैं। 

ब्रिटिश कालीन राजद्रोह कानून से मिली मुक्ति

नई संहिता के जरिए जिन औपनिवेशिक ब्रिटिश कालीन कानूनों से मुक्ति पाई गई है और आज के परिपेक्ष में जिन व्यावहारिक कानूनों को लाया गया है उनमें राजद्रोह कानून का हटना है। हालांकि राजद्रोह की जगह अब देशद्रोह को स्थान दिया गया है लेकिन इसका परिप्रेक्ष्य और मकसद बिलकुल अलग और स्पष्ट है। 

राजद्रोह की जगह अब देशद्रोह को दिया गया स्थान 

ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में सरकार के खिलाफ बोलना, प्रदर्शन करना या भावनाएं व्यक्त करना अपराध की श्रेणी में था लेकिन अब ऐसा नहीं है और सरकार की आलोचना करने के देश के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार सर्वथा सुरक्षित रहेंगे। 

स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक हितों ने औपनिवेशिक हितों की ली जगह 

बताना चाहेंगे भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 देशद्रोह कानून को फिर से परिभाषित करती है। आईपीसी की धारा 124 ए सरकार के खिलाफ कृत्यों को संबोधित करती थी और इसमें दोषी को तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान था जबकि भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों पर केंद्रित है। स्पष्ट है कि स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक हितों ने औपनिवेशिक हितों की जगह ले ली है।

राजद्रोह और देशद्रोह कानून में क्या अंतर ?

आईपीसी की धारा 124 ए के मुताबिक सरकार के प्रति नफरत या अवमानना पैदा करने वाली अभिव्यक्ति अपराध में शामिल थी लेकिन भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 सशस्त्र विद्रोह, विनाशकारी गतिविधियों और अलगाववादियों गतिविधियों के लिए सजा का प्रावधान करती है। इसमें दोषी को 7 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा। 

नए कानून के तहत सरकारी नीतियों और कार्यों की आलोचना पर सजा का प्रावधान नहीं

यानि ऐसे कृत्यों के लिए सजा जो भारत की अखंडता को प्रत्यक्ष रूप से खतरा पहुंचाने वाले दिखते हों। नए कानून के तहत सरकारी नीतियों और कार्यों की आलोचना पर सजा का प्रावधान नहीं है। कानून में इरादे की आवश्यकता को जोड़ा गया है जिससे प्रावधान की सीमा और विस्तृत हो गई है।

सजा के भय के बगैर विचारों के व्यक्त करने के नागरिकों के अधिकार को रखा सुरक्षित 

नए कानून में सजा के भय के बगैर विचारों के व्यक्त करने के नागरिकों के अधिकार को सुरक्षित रखते हुए उन गतिविधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाहियों को सुनिश्चित किया गया है जो राष्ट्र के लिए खतरा उत्पन्न करती है। जाहिर है कि ये संतुलन लोकतांत्रिक समाज को बरकरार रखने के लिए बेहद अहम है। 

इस प्रकार अंग्रेजों के जमाने के राजद्रोह कानून से देश को अब मुक्ति मिली है और नया कानून देशद्रोह की बात करता है यानि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मजबूत कवच देते हुए देशद्रोह पर नकेल। इन नए कानूनों के बारे में जानने के लिए NCRB SANKALAN of Criminal Laws मोबाइल एप को प्ले स्टोर या एप स्टोर से डाउनलोड करें।

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आखरी अपडेट: 7th Sep 2024