प्रतिक्रिया | Wednesday, January 22, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार देश में लिंगानुपात (एसआरबी)  2014-15 में 918 से बढ़कर 2023-24 में 930 हो गया है। साथ ही, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई +) के आंकड़ों के अनुसार, माध्यमिक स्तर पर स्कूल में लड़कियों का राष्ट्रीय सकल नामांकन अनुपात 2014-15 में 75.51 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में ग्रामीण क्षेत्रों सहित 79.4 प्रतिशत हो गया है। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

आपको बता दें, देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना 22 जनवरी, 2015 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर शुरू की गई थी। यह लिंग-पक्षपाती लिंग-चयनात्मक प्रथाओं को रोकने, बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करने और उनकी शिक्षा को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। 

वहीं, योजना के प्रभाव का आकलन करने और प्रगति का मूल्यांकन करने के प्रमुख मानदंड जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में सुधार और माध्यमिक स्तर पर बालिकाओं के सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार एसआरबी 2014-15 में 918 से बढ़कर 2023-24 में 930 हो गया है। साथ ही, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई +) के आंकड़ों के अनुसार, माध्यमिक स्तर पर स्कूल में लड़कियों का राष्ट्रीय सकल नामांकन अनुपात 2014-15 में 75.51 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में ग्रामीण क्षेत्रों सहित 79.4 प्रतिशत हो गया है।

इस तथ्य की पहचान करते हुए कि बीबीबीपी के तहत बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेपों के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस सहित गतिविधियों में कम भागीदारी वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए, मंत्रालय ने बीबीबीपी के लिए एक संचालन नियमावली जारी किया है। इसमें बालिकाओं, उनके परिवारों और समुदायों की साल भर की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विकसित जिलों के लिए एक विस्तृत और अच्छी तरह से सुझाया गया गतिविधि कैलेंडर शामिल है।

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के आधार पर धनराशि जारी की जा रही है, जिसने सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) की एकल नोडल एजेंसी (एसएनए) के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं। इसके अलावा, वर्ष 2020-21 के लिए एचएमआईएस डेटा के अनुसार जिलों की अलग-अलग एसआरबी स्थिति के आधार पर, बीबीबीपी के तहत धनराशि जारी करने के लिए तीन श्रेणियां निर्धारित की गई हैं –

जिन जिलों का एसआरबी 918 या उससे कम है, उन्हें प्रति वर्ष 40 लाख रुपये आवंटित किए जाते हैं। एसआरबी 919 से 952 वाले जिलों को 30 लाख रुपये प्रति वर्ष आवंटित किए जाते हैं। 952 से अधिक एसआरबी वाले जिलों को 20 लाख रुपये प्रति वर्ष आवंटित किए जाते हैं।

गौरतलब हो, बीबीबीपी एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका मिशन शक्ति के संबल वर्टिकल के तहत देश के सभी जिलों में केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्त पोषण किया जाता है। बावजूद इसके पश्चिम बंगाल सरकार बीबीबीपी को लागू नहीं कर रही है।

 

आगंतुकों: 15382549
आखरी अपडेट: 22nd Jan 2025