प्रतिक्रिया | Thursday, December 26, 2024

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श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद: मंदिर पक्ष की बहस पर अगली सुनवाई 18 को, जानें क्या है जन्मभूमि का इतिहास

इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को एक बार फिर मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले को लेकर बहस हुई। दरअसल, श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी होने के बाद हिंदू पक्ष की ओर से बहस जारी है। हालांकि कोर्ट ने समयाभाव को देखते हुए आगे की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख तय की है।

कोर्ट में क्या हुआ
भगवान श्री कृष्ण विराजमान एट कटरा केसर देव की ओर से दाखिल वादों की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक जैन की पीठ कर रही है। इसके पहले बृहस्पतिवार को सुनवाई शुरू होते ही मस्जिद पक्ष की ओर से मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल वादों की पोषणीयता पर सवाल खड़े किए गए। कहा गया कि सभी वाद प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट सहित विभिन्न कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत बाधित है। लिहाजा, सभी वादों को खारिज किया जाए। मस्जिद पक्ष की ओर से तसलीमा अहमदी ने बहस की। जवाब में मंदिर पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से वादों की पोषणीयता पर उठाए जा रहे सवाल बेबुनियाद है। सभी वाद पोषणीय है। वाद लिमिटेशन एक्ट, सीपीसी के आदेश के नियम 11 के तहत बाधित नहीं है। सभी वाद पोषणीय है।

मंदिर पक्ष की ओर से कई अन्य अधिवक्ताओं ने भी पक्ष रखा। कोर्ट में वाद संख्या 11 के वादी की ओर से मुस्लिम पक्ष की ओर से की गई आपत्तियों पर जवाब दाखिल न करने पर नाराजगी जाहिर की और आपत्ति दाखिल करने का मौका दिया। हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि 1669 में औरंगजेब के आदेश के तहत मंदिर को तोड़ा गया। कोर्ट को 400 सौ साल पहले की इतिहास तथ्यों को देखने की जरूरत है। विष्णु शंकर जैन ने भूमि विवाद से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के 15 आदेशों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने की बात कही।

क्या है मामला
बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण के विश्व भर में भक्त हैं। कहा गया है कि 5132 साल पूर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा कंस के मथुरा कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जिस स्थान को कटरा केशव देव के नाम से जाना जाता है। कहा गया है कि 1618 ईसवी में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने जन्मभूमि मंदिर निर्माण कराया था। जिसे मुगल शासक औरंगजेब ने ध्वस्त कर शाही मस्जिद ईदगाह का निर्माण कराया।

क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि का इतिहास
इसके बाद गोवर्धन युद्ध के दौरान मराठा शासकों ने आगरा मथुरा पर आधिपत्य जमा लिया। मस्जिद हटा कर श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण कराया। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन आ गया। ब्रिटिश सरकार ने सन् 1803 में 13.37 एकड़ जमीन कटरा केशव देव के नाम नजूल भूमि घोषित कर दिया। सन् 1815 में बनारस के राजा पटनीमल ने अंग्रेजों से खरीद लिया। मुस्लिम पक्ष की स्वामित्व का दावा खारिज कर दिया गया। और 1860 में बनारस राजा के वारिस राजा नरसिंह दास के पक्ष में डिक्री हो गया। हिन्दू मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद चलता रहा। 1920 के फैसले में मुस्लिम पक्ष को निराशा मिली। कोर्ट ने कहा 13.37 एकड़ जमीन पर मुस्लिम पक्ष का कोई अधिकार नहीं है।

1944 मे पूरी जमीन पं. मदनमोहन मालवीय व दो अन्य को बैनामा किया गया। जे के बिड़ला ने कीमत का भुगतान किया। इससे पहले 1935 में मस्जिद ईदगाह के केस को एक समझौते के आधार पर तय किया गया था। इसके बाद 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बना किंतु 1958 में वह अर्थहीन हो गया। इसी साल मुस्लिम पक्ष का एक केस खारिज कर दिया गया। 1977 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ जो बाद में संस्थान बन गया।

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आखरी अपडेट: 26th Dec 2024