कलकत्ता हाई कोर्ट की एक विशेष डिवीजन बेंच ने मुर्शिदाबाद जिले में भड़की हिंसा के बाद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात करने का आदेश दिया है। इस मुद्दे पर भाजपा नेता अजय आलोक ने कहा कि बंगाल में पलायन शुरू हो चुका है और हिंदुओं पर हमले भी हो रहे हैं।
बंगाल की हालत बहुत ही चिंताजनक
भाजपा नेता अजय आलोक ने बातचीत में कहा, “बंगाल की हालत बहुत चिंताजनक है। मुझे लगता है कि बंगाल के हिंदू ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठे हुए हैं, जो फटने को तैयार है और रुक-रुक कर फट भी रहा है। पलायन शुरू हो गया है और हिंदुओं पर हमले भी हो रहे हैं।”
राज्य सरकार आंख मूंदकर घटनाओं को देख रही है
उन्होंने आगे कहा, “1947 में जिस तरीके की हिंसा हुई थी, उस तरीके की एक बार फिर से हिंसा हो रही है और वह दिन याद आ रहे हैं। मुर्शिदाबाद और मालदा में भी कुछ वैसे ही हालात हैं। हालांकि, राज्य सरकार आंख मूंदकर इन सारी घटनाओं को देख रही है और इस्लामिक जिहादियों को सरपरस्ती दे रही है, जिससे उनका मनोबल और भी बढ़ रहा है। पुलिस वालों को मारा जा रहा है और कुछ पुलिसकर्मी तो आईसीयू में भर्ती हैं। वहां हालात इतने खराब हो गए हैं कि पुलिस से स्थिति कंट्रोल नहीं हो रही है तो बीएसएफ बुलाई गई है। इस पूरे मामले को केंद्र सरकार से लेकर हाई कोर्ट तक देख रहा है। मैं अपील करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट भी बंगाल की स्थिति का संज्ञान लें। क्या हम एक और विभाजन की इजाजत दे सकते हैं? कानून व्यवस्था के मुद्दे पर ममता सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है।”
मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात करने का आदेश
शनिवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक विशेष डिवीजन बेंच ने मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हाल के दिनों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सांप्रदायिक अशांति को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपाय पर्याप्त नहीं थे। बेंच ने यह भी कहा कि अगर पहले सीएपीएफ तैनात किया गया होता, तो स्थिति इतनी गंभीर और अस्थिर नहीं होती। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, “केंद्रीय सशस्त्र बलों की पहले तैनाती से स्थिति को कम किया जा सकता था, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि समय पर पर्याप्त उपाय नहीं किए गए।” खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि स्थिति गंभीर और अस्थिर है। बेंच ने अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और निर्दोष नागरिकों पर हुए अत्याचारों को रोकने की जरूरत पर बल दिया।
‘हिंदुओं ने भागकर ली स्कूलों में शरण’, सुवेंदु अधिकारी ने शेयर किया मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद का वीडियो
पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाने के बाद मुर्शिदाबाद से कथित तौर पर हिंदू समुदाय के लोगों के पलायन की खबरें आ रही हैं। पश्चिम बंगाल में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट कर बताया कि 400 से अधिक हिंदुओं को मुर्शिदाबाद के धुलियान से भागने, नदी पार करने और स्कूल में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने हिंदुओं की तस्वीरें और वीडियो भी पोस्ट किए।
इस्लामिक कट्टरपंथियों के डर से हिंदू घर छोड़ने को मजबूर
भाजपा नेता ने कहा, “धार्मिक कट्टरपंथियों के डर से मुर्शिदाबाद के धुलियान में 400 से अधिक हिंदू नदी पार करके मालदा के बैष्णबनगर के देवनापुर-सोवापुर जीपी के पार लालपुर हाई स्कूल में शरण लेने के लिए मजबूर हुए।” अधिकारी ने पोस्ट में कहा कि बंगाल में धार्मिक उत्पीड़न वास्तविक है।
टीएमसी की तुष्टिकरण नीतियों ने कट्टरपंथी तत्वों को किया है प्रोत्साहित
उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा, “टीएमसी की तुष्टिकरण नीतियों ने कट्टरपंथी तत्वों को प्रोत्साहित किया है। हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, हमारे लोग अपनी ही जमीन पर अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं। कानून-व्यवस्था की इस विफलता के लिए राज्य सरकार को शर्म आनी चाहिए।” उन्होंने जिले में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, राज्य पुलिस और जिला प्रशासन से इन विस्थापित हिंदुओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने और उनके जीवन की रक्षा करने का आग्रह किया।उन्होंने कहा, “बंगाल जल रहा है। सामाजिक ताना-बाना टूट चुका है। अब बहुत हो चुका।”
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात करने का दिया आदेश
इससे पहले शनिवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक विशेष डिवीजन बेंच ने मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हाल के दिनों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सांप्रदायिक अशांति को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपाय पर्याप्त नहीं थे। बेंच ने यह भी कहा कि अगर पहले सीएपीएफ तैनात किया गया होता, तो स्थिति इतनी गंभीर और अस्थिर नहीं होती।
कोर्ट ने अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और निर्दोष नागरिकों पर हुए अत्याचारों को रोकने की जरूरत पर दिया बल
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, “केंद्रीय सशस्त्र बलों की पहले तैनाती से स्थिति को कम किया जा सकता था, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि समय पर पर्याप्त उपाय नहीं किए गए।” खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि स्थिति गंभीर और अस्थिर है। बेंच ने अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और निर्दोष नागरिकों पर हुए अत्याचारों को रोकने की जरूरत पर बल दिया।
कोर्ट ने कहा जब लोगों की सुरक्षा खतरे में हो, तो न्यायालय मूक दर्शक नहीं रह सकता
आदेश में कहा गया, “जब लोगों की सुरक्षा खतरे में हो, तो संवैधानिक न्यायालय मूक दर्शक नहीं रह सकता और तकनीकी बचाव में उलझ नहीं सकता।” सुवेंदु अधिकारी की तरफ से याचिका दायर किए जाने के बाद न्यायालय ने यह आदेश जारी किया। सुवेंदु ने कहा था कि उन्होंने राज्य सरकार से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की मांग करके तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था, लेकिन राज्य ने इसे स्वीकार नहीं किया, जिसके कारण उन्हें न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।(इनपुट-आईएएनएस)