केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए भ्रामक विज्ञापन के मामले में 45 कोचिंग सेंटरों को नोटिस जारी किया किए हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीसीपीए ने 19 कोचिंग संस्थानों पर 61,60,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है और उन्हें भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार प्रथाओं को बंद करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि सीसीपीए ने 13 नवंबर को कोचिंग सेंटरों को माल या सेवा की बिक्री को बढ़ावा देने और भ्रामक या अनुचित प्रथाओं में संलग्न होने के लिए झूठे या भ्रामक दावे व विज्ञापन करने से रोकने के लिए कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश, 2024 जारी किए हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि उपभोक्ता मामलों के विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) के माध्यम से यूपीएससी सिविल सेवा, आईआईटी और अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए नामांकन कराने वाले छात्रों और उम्मीदवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए मुकदमेबाजी से पहले के चरण में सफलतापूर्वक हस्तक्षेप किया है। विभिन्न कोचिंग सेंटरों द्वारा अनुचित व्यवहार, विशेष रूप से छात्रों व अभ्यर्थियों की नामांकन फीस वापस न करने के संबंध में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में दर्ज की गई कई शिकायतों के बाद, एनसीएच ने प्रभावित छात्रों को कुल 1.15 करोड़ रुपये की वापसी की सुविधा प्रदान करने के लिए मिशन-मोड पर इन शिकायतों को हल करने के लिए एक अभियान शुरू किया।
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता मामले विभाग प्रगतिशील कानून बनाकर उपभोक्ता संरक्षण और उपभोक्ताओं के सशक्तिकरण के लिए लगातार काम कर रहा है। वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स बाजार आदि के नए युग में उपभोक्ता संरक्षण को नियंत्रित करने वाले ढांचे को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को निरस्त कर दिया गया और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू किया गया।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा-10 के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना की गई है, ताकि उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित किया जा सके जो जनता और उपभोक्ताओं के हितों के लिए हानिकारक हैं, ताकि उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा दिया जा सके, उनकी रक्षा की जा सके और उन्हें लागू किया जा सके।