स्टैंड-अप इंडिया योजना ने अपने 7 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना को 5 अप्रैल 2016 को वित्त मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत शुरू किया था। इसका उद्देश्य SC/ST वर्गों और महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंक ऋण की सुविधा देना था।
इन सात वर्षों में यह योजना महज एक वित्तीय सहायता कार्यक्रम नहीं रही, बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन बन गई है। इसने लाखों उद्यमियों के सपनों को साकार किया है, रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं और समावेशी आर्थिक विकास को गति दी है। 31 मार्च 2019 तक जहां इस योजना के तहत कुल 16,085.07 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत हुए थे, वहीं 17 मार्च 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 61,020.41 करोड़ रुपये हो गया है, जो योजना की बढ़ती पहुंच और प्रभाव को दर्शाता है।
मार्च 2018 से मार्च 2024 के बीच योजना के तहत सभी लक्षित वर्गों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के खातों की संख्या 9,399 से बढ़कर 46,248 हो गई और ऋण राशि 1,826.21 करोड़ से बढ़कर 9,747.11 करोड़ रुपये पहुंच गई। अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों के लिए खाते 2,841 से बढ़कर 15,228 हो गए और ऋण राशि 574.65 करोड़ से बढ़कर 3,244.07 करोड़ रुपये हो गई। वहीं महिलाओं के मामले में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई, जहां खातों की संख्या 55,644 से बढ़कर 1,90,844 तक पहुंच गई और ऋण राशि 12,452.37 करोड़ से बढ़कर 43,984.10 करोड़ रुपये हो गई।
यह योजना आज न केवल स्वरोजगार के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म बन चुकी है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इसके माध्यम से लाखों लोगों को न केवल रोजगार मिला है, बल्कि उन्होंने दूसरों को भी रोजगार देने की क्षमता विकसित कर रहा है।- (With Input PIB)