प्रतिक्रिया | Saturday, May 11, 2024

18/09/23 | 3:18 pm

आज ही के दिन हुआ था उरी में आतंकी हमला, भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक से लिया था बदला

जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में वर्ष 2016 में आज ही के दिन एलओसी के करीब स्थित भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर आतंकवादी हमला हुआ था। पाकिस्तान प्रायोजित इस आतंकी हमले में कई जवान शहीद हो गए थे। वहीं सैन्य बलों की जवाबी कार्रवाई में हमलावर सभी चार आतंकी मार गिराए गए थे।

भारतीय सेना के उरी ब्रिगेड हेडक्वार्टर को बनाया था निशाना

18 सितंबर 2016 में सुबह करीब साढ़े 5 बजे भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया। आतंकियों ने एक के बाद एक करीब तीन मिनट के भीतर 17 हैंड ग्रेनेड फेंके। जम्मू-कश्मीर स्थित उरी ब्रिगेड हेडक्वार्टर हथगोलों के धमाकों से गूंज उठा था। हथगोलों के हमले से फौजियों के टेंटों में आग लग गई और उसमें सो रहे जवान बुरी तरह झुलस गए। इस पर सेना के जवानों ने तुरंत जवाबी हमला किया और मुठभेड़ में चारों आतंकियों को मार गिराया।  लेकिन अचानक हुए इस हमले में हमारे जवान भी शहीद हो गए। यह मुठभेड़ करीब छह घंटे तक चली थी। वहीं पाकिस्तान की इस हरकत से सारे देश में शौक और गुस्से की लहर दौड़ गई। हर तरफ बस एक ही आवाज थी, बदला… 

आतंकियों ने रची थी गहरी साजिश

आतंकी आकाओं ने बेहद गहरी साजिश के साथ हमला किया था। उन्होंने वक्त चुना था जब उरी कैंप से 10 डोगरा के जवान अपना कार्यकाल पूरा करके दूसरे मोर्चे पर जाने की तैयारी कर रहे थे और उनकी जगह 6 बिहार रेजीमेंट के जवान आ चुके थे। इस अदला-बदली के वक्त को ही हमले के लिए चुना गया था।

भारत के सब्र की परीक्षा ले चुका था पाक

ऐसे में पाकिस्तान, भारत के सब्र की परीक्षा ले चुका था। पूर्व विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने एक बार संयुक्त राष्ट्र संघ में कहा था- ”दुनिया में ऐसे देश हैं जो बोते भी हैं तो आतंकवाद, उगाते भी हैं तो आतंकवाद, बेचते भी हैं तो आतंकवाद और निर्यात भी करते हैं तो आतंकवाद, आतंकवादियों को पालना कुछ देशों का शौक बन गया है।”

पाकिस्तान को करारा जवाब देने का आ गया था समय

उनकी यह कहावत पाकिस्तान पर सटीक बैठती है। ऐसे में वक्त आ चुका था पाकिस्तान को करारा जवाब देने का। ऐसे में पीएम मोदी ने भी देशवासियों को आश्वस्त किया कि उरी सेक्टर में शहीद हुए बहादुर सैनिकों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाने दी जाएगी।

पीएम मोदी ने दिया था सर्जिकल स्ट्राइक का फाइनल डिसीजन

ऐसे में पीएम मोदी ने समुचित कार्रवाई के स्पष्ट आदेश दे दिए जिसमें यह तय किया गया कि पाकिस्तान चूंकि कायरता की सभी हदें पार कर चुका है इसलिए उसे जवाब भी सीमा पार करके दिया जाए। तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल (रिटायर्ड) दलबीर सिंह ने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक का फाइनल डिसीजन पीएम मोदी का था और यह बहुत ही बोल्ड डिसीजन था।

लेखक व सुरक्षा मामलों के जानकार नितिन गोखले इस संबंध में बताते हैं कि 23 सितंबर 2016 को मिलिट्री ऑपरेशन रूम में एक मीटिंग हुई थी जहां पीएम मोदी, एनएसए, डिफेंस मिनिस्टर, आर्मी चीफ, डायरेक्टर जनरल मिलिट्री को डीजीएमओ ने ऑपरेशंस ब्रीफ किया और फिर वह दिन आया जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की।

भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया था मुंह तोड़ जवाब

इस हमले के महज 10 दिन बाद भारत ने पाकिस्तानी सीमा में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक कर बदला लिया। पाकिस्तान को सबक सिखाने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता था। इस ऑपरेशन में 150 कमांडोज की मदद से सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया। भारतीय जवानों ने 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात को पीओके में सीमा के भीतर तीन किलोमीटर अंदर तक घुसकर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर डाला। इसमें बड़ी संख्‍या में आतंकी मारे गए थे। जम्‍मू-कश्‍मीर में तैनात अर्द्धसैनिक बलों की विभिन्‍न इकाइयों के कमांडों सहित भारतीय सेना ने सीमा पार कईं आतंकी ठिकानों पर हमले किए थे। ये सभी ठिकाने आतंकवादियों के लांच पैड थे जिसके माध्‍यम से जम्‍मू-कश्‍मीर में सेना और नागरिकों पर हमले करने के लिए आतंकवादियों की घुसपैठ होती थी। इस कार्रवाई के साथ भारत ने यह संदेश दिया था कि वह जरूरत पड़ने पर सीमा पार भी आतंकियों के लॉन्च पैड पर हमले कर सकता है। 

सर्जिकल स्ट्राइक इसलिए साबित हुई अलग

भारत ने सीमा पार कमांडो हमले पहले भी किए थे लेकिन वे थोड़े से क्षेत्र में दुश्मनों की कुछ चौकियों तक ही सीमित रहते थे, लेकिन साल 2016 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक इसलिए अलग साबित हुई क्योंकि इसमें भारतीय सेना ने करीब 200-250 किलोमीटर के आर्क में दुश्मन देश के भीतर जाकर अपनी कार्रवाई की। इस स्ट्राइक को पॉलिटिकल अथराइजेशन दिया गया। इसके अंतर्गत भारतीय सेना ने सात जगहों पर एक साथ अटैक किया। इसमें बहुत बड़ा रिस्क भी था। इसलिए हमले से पहले ठिकानों की पहचान की गई। इसमें आतंकियों के बीच बैठे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने मदद की। उन्होंने सटीक ठिकानों और वहां मौजूद आतंकियों की जानकारी पहले से ही दे दी थी। इस सूचना के आधार पर टारगेट तय किए गए। टारगेट के रूप में पीर पंजाल पर्वत ऋंखला के दोनों और चार से पांच आतंकी कैंपों को चुना गया।

और फिर आया हमले का दिन…

27 सितंबर आधीरात को तीन जगहों से जांबाज कमांडो की पांच टुकड़ियों ने नियंत्रण रेखा पार की। दुश्मन के ठिकाने जब नजरों के सामने थे तभी एक और बड़ा फैसला लिया गया। हमले को 24 घंटे के लिए रोक दिया गया, तय किया गया कि 24 घंटे दुश्मन की हरकत पर नजदीकी नजर रखी जाए। सभी कमांडो नाइट विजन उपकरणों से लैस थे। दुश्मन के गढ़ में जरा सी आहट से पूरी योजना बिखर सकती थी लेकिन किस्मत ने वीर बहादुरों का साथ दिया और भारतीय सैनिकों ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पाकिस्तान में दुश्मन के सभी कैंपों को नेस्तनाबूद कर भारतीय जवान सुरक्षित भारत वापस लौटकर आए। वाकयी यह वो दिन बना जब भारत ने पूरी दुनिया को यह मैसेज दिया कि वह अपने दुश्मन के घर में घुसकर मुंहतोड़ जवाब देना जानता है। इसलिए यह दिन हमारे लिए बेहद खास है और हर देशवासी को इस गौरवपूर्ण दिवस को हमेशा याद रखना चाहिए।

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आखरी अपडेट: 11th May 2024