उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।चारधाम मार्ग में तैयार हो रही इस सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद अंदर फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया है।
ज्ञात हो, इस महीने की 12 तारीख को भूस्खलन के कारण सिल्क्यारा से बारकोट तक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था, जिसके बाद 41 श्रमिक सुरंग के अंदर फंस गए हैं। सुरंग से श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के दौरान सामने आई सभी अड़चनों को रेस्क्यू टीम जल्द से जल्द दूर करने में लगी है। फिलहाल, ऑगर मशीन के लिए प्लेटफॉर्म दोबारा तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री बोले- बचाव अभियान गतिमान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़ा अपडेट देते हुए कहा है कि बचाव अभियान गतिमान है और जल्द ही सारी बाधाओं को पार कर सभी श्रमिक भाइयों को सकुशल बाहर निकालने के लिए हम सभी प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद राहत और बचाव कार्यों की जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
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अब स्थिति काफी ठीक
इस अभियान से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व सलाहकार और उत्तराखंड सरकार के पर्यटन विभाग के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे ने भी शुक्रवार सुबह बताया कि अब स्थिति काफी ठीक है। रात को हमें दो चीजों पर काम करना था। सबसे पहले, हमने मशीन के प्लेटफॉर्म का पुनर्गठन किया। इसके बाद पाइप पर जो थोड़ा दबाव था, उसे काटना था। इस समय यही काम हो रहा है। इसके पूरा हो जाने के बाद ऑगर ड्रिलिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इस बीच अच्छी खबर यह है कि पार्संस कंपनी ने ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार से अध्ययन किया है। इससे पता चला है कि सुरंग में अगले पांच मीटर तक कोई धातु अवरोध नहीं है। इसका मतलब है कि ड्रिलिंग सुचारू होनी चाहिए। यह जानकारी शुक्रवार सुबह बचाव अभियान का जायजा लेने पहुंचे केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने दी है।
कैसे काम करती है ऑगर मशीन ?
बता दें ऑगर ड्रिलिंग मशीन दो तरह से काम करती है वर्टिकल या हॉरीजोंटल। वर्टिकल में जमीन में सीधा छेद करने में मदद मिलती है। ये जमीन की गहराई में छेद करने में काम आती है। वहीं अगर पहाड़ में सामने की तरफ खड़ी मिट्टी और पत्थरों की मजबूत दीवार में छेद करना हो तब इंजीनियर हॉरिजोंटल ऑगर ड्रिलिंग मशीन का उपयोग करते हैं। यह एक लंबी पाइप में घुमावदार पेंच जैसी आकृति की होती है। वहीं इसके आगे एक पेंच जैसा हैमर रॉड होता है। हैमर रॉड घूमते हुए मिट्टी और पत्थर की दीवार पर लगातार चोट करता है। वहां से निकलने वाली मिट्टी को इसी पेंचकस जैसे घुमावदार ड्रिलिंग मशीन में लगे पाइप के अंदर ही खींचकर बाहर निकाला जाता है।