प्रतिक्रिया | Saturday, May 11, 2024

18/09/23 | 3:12 pm

28 वर्षीय ‘मिलेट क्वीन’ को ‘पादप जीनोम संरक्षक किसान सम्मान’, पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

लहरी बाई यानि मिलेट क्वीन…इन्हें हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल में लहरी बाई को श्री अन्न प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वर्ष 2021-22 का 'पादप जीनोम संरक्षक किसान सम्मान' प्रदान किया। लहरी बाई को कृषक अधिकार वैश्विक संगोष्ठी के अलंकरण समारोह में सम्मान स्वरूप 1,50,000 रुपये की नकद राशि, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

कौन है मिलेट क्वीन
सबसे पहले लहरी बाई से पूरा देश एक साथ तब रुबरु हुआ जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने एक ट्वीट के जरिए उनके कार्य का उल्लेख किया। दरअसल, आज लहरी बाई को मिलेट क्वीन के नाम से सब जानने लगे हैं। यूनेस्को द्वारा 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया गया है तब लहरी बाई होने का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। लहरी बाई ने विलुप्त हो रही प्रजातियों के बीजों का बैंक तैयार कर फसलों को फिर से जीवित कर दिया है।

28 वर्षीय लहरी बाई का मिलेट्स बैंक

मध्यप्रदेश के जनजातीय बहुल जिले डिंडोरी से करीब 60 किलोमीटर दूर बजाग विकासखंड के सिलपीड़ी गांव में रहने वाली 28 वर्षीय लहरी बाई करीब एक दशक से मिलेट्स बैंक चला रही हैं। अपने छोटे से कच्चे घर के एक कमरे में उन्होंने विलुप्त प्रजातियों के बीजों का बैंक तैयार किया है। इनमें कई अनाज ऐसे हैं, जिन्हें जानने पहचानने वाले लोग भी नहीं बचे हैं।

बीज बैंक में 150 से ज्यादा बीज

लहरी बाई पारंपरिक मिट्टी से बने तीन कमरों के घर में रहती हैं। एक कमरे में उनका परिवार रहता है। दूसरे में घर का अन्य सामान और तीसरे में सामुदायिक बीज बैंक है। इसमें 150 से ज्यादा प्रकार के बीज हैं। लंबे समय तक बीजों की सुरक्षा करने के लिए लहरी बाई ने बड़ी-बड़ी मिट्टी की कोठी भी बनाई है।
उनके बीज बैंक में कांग की चार प्रजातियां- भुरसा कांग, सफेद कलकी कांग, लाल कलकी कांग और करिया कलकी कांग, सलहार की तीन प्रजातियां- बैगा सलहार, काटा सलहार और ऐंठी सलहार, कोदो की चार प्रजातियां- बड़े कोदो, लदरी कोदो, बहेरी कोदो और छोटी कोदो, मढिया की चार प्रजाति- चावर मढिया, लाल मढिया, गोद पारी मढिया और मरामुठ मढिया, साभा की तीन प्रजाति- भालू सांभा, कुशवा सांभा और छिदरी सांभा, कुटकी की आठ प्रजातियां- बड़े डोंगर कुटकी, सफेद डोंगर कुटकी, लाल डोंगर कुटकी, चार कुटकी, बिरनी कुटकी, सिताही कुटकी, नान बाई कुटकी, नागदावन कुटकी, छोटाही कुटकी, भदेली कुटकी और सिकिया बीज उपलब्ध है। इसके अलावा दलहनी फसल – बिदरी रवास, झुंझुरु, सुतरू, हिरवा और बैगा राहड़ के बीज भी लहरी बाई के पास मौजूद हैं।

विलुप्त हो रहे बीजों को हर फसल को मिल रहा नया जीवन

लहरी बाई आस पास के गांवों के किसानों को ये बीज देती हैं और फसल आने पर वापस ले लेती हैं। इस प्रकार विलुप्त हो रहे बीजों को हर फसल पर नया जीवन मिल जाता है। लहरी बाई के इस प्रयास से दुर्लभ बीजों की रक्षा हो रही है। अब तक 300 से ज्यादा किसानों को अपने बीज बैंक से बीज देकर उन्हें भी बीजों को बचाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। लहरी गांव-गांव जाकर बीज बांटती हैं और फसल आने पर बीज की मात्रा के बराबर वापस ले लेती हैं।

गौरतलब हो कि 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है।। मध्यप्रदेश में मिलेट आधारित खाद्य पदार्थों और खाद्य प्रसंस्करण की अपार संभावनाएं हैं। डिंडोरी जिला मिलेट से समृद्ध जिला है। लहरी बाई डिण्डोरी जिले की ब्रांड एंबेसडर हैं।

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आखरी अपडेट: 11th May 2024