भारत ने अपनी तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ का सफल परीक्षण किया है। राजस्थान के पोखरण फील्ड रेंज में इस मिसाइल के तीन परीक्षण किया गया। इन परीक्षणों में मिसाइल ने अपने सभी लक्ष्यों को पूरी सटीकता से नष्ट कर दिया। यह परीक्षण भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में सम्पन्न हुआ। रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी है कि अब यह मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना को बधाई दी है।
यह मिसाइल ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ तकनीक पर आधारित है, यानी इसे दागने के बाद दोबारा निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं होती। नाग मिसाइल हर मौसम में काम करने में सक्षम है और यह दुश्मन के टैंक को सटीकता से नष्ट कर सकती है। इसमें इन्फ्रारेड तकनीक है, जो लॉन्च से पहले लक्ष्य को लॉक करती है और तेजी से उसे नष्ट कर देती है। इसकी मारक क्षमता 4 किलोमीटर तक है। हल्के वजन और अचूक निशाने वाली यह मिसाइल दुश्मन के टैंक और अन्य सैन्य वाहनों को सेकंडों में नष्ट कर सकती है।
नाग मिसाइल को डीआरडीओ ने 300 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया है। इसका पहला सफल परीक्षण 1990 में किया गया था। जुलाई 2019 में पोखरण फायरिंग रेंज में इसका परीक्षण किया गया था। इसके अलावा, 2017, 2018 और 2019 में भी अलग-अलग ट्रायल किए गए, जिनमें हर बार नई तकनीक जोड़ी गई।
यह मिसाइल डीआरडीओ के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा है। यह दुश्मन के टैंकों के खिलाफ भारत की ताकत को कई गुना बढ़ाएगी और सेना को आधुनिक तकनीकों से लैस करेगी।