प्रतिक्रिया | Thursday, May 01, 2025

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इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 3 घंटे में 90 प्रतिशत बैटरी चार्ज करने वाला स्वदेशी वायरलेस चार्जर जल्द आएगा

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव एस कृष्णन ने इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन नई दिल्ली में राष्ट्रीय विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी मिशन (एनएएमपीईटी) के अंतर्गत विकसित प्रौद्योगिकियों के व्यवसायीकरण के लिए उद्योगों के बीच टीओटी/एमओए/एमओयू पर हस्ताक्षर की घोषणा की। बैठक के दौरान एमईआईटीवाई के सचिव ने ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्रों में स्वदेशी प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पर बल दिया।

एनएएमपीईटी कार्यक्रम के तहत एमईआईटीवाई समर्थित प्रौद्योगिकियों का विकास शामिल

कार्यक्रम के मुख्य आकर्षणों में एनएएमपीईटी कार्यक्रम के तहत एमईआईटीवाई समर्थित प्रौद्योगिकियों का विकास शामिल था। इन प्रौद्योगिकियों को विकसित, तैनात, परीक्षण और व्यवसायीकरण के लिए प्रमाणित किया गया है। एमईआईटीवाई के सचिव की उपस्थिति में हस्ताक्षरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी), समझौता ज्ञापन का विवरण इस प्रकार है:

इलेक्ट्रिक वाहन के लिए स्वदेशी वायरलेस चार्जर

सी-डैक (टी) और वीएनआईटी नागपुर द्वारा विकसित स्वदेशी 1.5 किलोवाट वायरलेस चार्जर प्रौद्योगिकी के लिए मेसर्स ग्लोबल बिजनेस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण: यह 230V, 50Hz एसी सिंगल-फेज आपूर्ति पर काम करने में सक्षम है और 4.8kWh ऑन बोर्ड बैटरी पैक को 48V पर 30A करंट के साथ लगभग 3 घंटे में चार्ज करता है। इससे 7.5-12.5 सेमी के कॉइल सेपरेशन के भीतर 89.4 प्रतिशत की अधिकतम दक्षता प्राप्त होती है। चार्जर में 88kHz पर काम करने वाले सिलिकॉन कार्बाइड-आधारित एमओएसएफईटी शामिल हैं और इसमें शॉर्ट-सर्किट और ओपन-सर्किट सुरक्षा जैसी सुरक्षा सुविधाएं शामिल हैं।

विद्युत इंजनों के लिए स्वदेशी प्रोपल्शन प्रणाली के विकास के लिए किया समझौता

भारतीय रेलवे प्रोपल्शन प्रणाली के स्वदेशीकरण के लिए सी-डैक, चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) और उद्योग भागीदारों के बीच समझौता ज्ञापन के माध्यम से सहयोग: यह सहयोग 3-चरण वाले इलेक्ट्रिक इंजनों के लिए स्वदेशी प्रोपल्शन प्रणाली विकसित करके भारत के रेल विद्युतीकरण प्रयासों में एक परिवर्तनकारी कदम है। इसमें भारतीय रेलवे का लक्ष्य 2030 तक पूर्ण विद्युतीकरण करना है।

प्रस्तावित प्रोपल्शन प्रणाली दो उच्च-शक्ति 2.5 एमवीए ट्रैक्शन कन्वर्टर्स, तीन 130 केवीए सहायक कन्वर्टर्स और एक उन्नत ट्रेन नियंत्रण और प्रबंधन प्रणाली (टीसीएमएस) को एकीकृत करती है। यह आधुनिक इंजनों के लिए बेहतर प्रदर्शन, विश्वसनीयता और परिचालन लचीलापन प्रदान करती है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले उद्योग हैं मेसर्स दौलत राम इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (भोपाल), मेसर्स जेएमवी एलपीएस लिमिटेड (नोएडा), ये साझेदार परीक्षण, उत्पाद इंजीनियरिंग और प्रोटोटाइप तैनाती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, भारतीय रेलवे द्वारा सफल क्षेत्र सत्यापन सुनिश्चित करेंगे, संरचित उद्योग अपनाने और वाणिज्यिक रोलआउट सुनिश्चित करेंगे।

एलवीडीसी प्रणालियों के लिए के-डीआईएससी के साथ समझौता 

हरित और सतत ग्रिड समाधानों की तैनाती के लिए सी-डैक और केरल विकास और नवाचार रणनीतिक परिषद (के-डीआईएससी) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के माध्यम से सहयोग: एमईआईटीवाई के समर्थन से एनएएमपीईटी कार्यक्रम के अंतर्गत सी-डैक द्वारा विकसित 48V लो वोल्टेज डायरेक्ट करंट प्रणाली ऊर्जा संरक्षण, हरित ऊर्जा एकीकरण और लागत प्रभावी बिजली वितरण के लिए एक गेम-चेंजिंग तकनीक के रूप में उभरी है।

इसकी क्षमता को पहचानते हुए केरल विकास एवं नवाचार रणनीतिक परिषद (के-डीआईएससी) ने अपने मुख्यालय में इस प्रणाली को लागू किया है, इससे यह केरल का पहला प्रशासनिक भवन बन गया है जो 48V डीसी द्वारा संचालित है। इससे 20 से 30 प्रतिशत ऊर्जा की बचत हो सकती है। यह केरल के कार्बन निष्पक्षता रोडमैप 2050 और भारत के व्यापक नेट जीरो 2070 विजन में योगदान दे सकता है।

उपरोक्त प्रौद्योगिकियों के लिए टीओटी/एमओयू/एमओए पर हस्ताक्षर एमईआईटीवाई, नई दिल्ली में एमईआईटीवाई के सचिव की उपस्थिति में किए गए, जिसमें विद्युत मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, नीति आयोग, रेल मंत्रालय के गणमान्य व्यक्ति और ईवी चार्जर, स्मार्ट मीटरिंग, रेल प्रणोदन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र के उद्योग प्रतिनिधि शामिल हुए।

एनएएमपीईटी, एमईआईटीवाई का एक अनूठा मिशन-मोड कार्यक्रम है

एनएएमपीईटी, एमईआईटीवाई का एक अनूठा मिशन-मोड कार्यक्रम है। इसमें पावर इलेक्ट्रॉनिक्स डोमेन में प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान, विकास, परिनियोजन, प्रदर्शन और व्यावसायीकरण शामिल है। इस कार्यक्रम को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग, तिरुवनंतपुरम द्वारा नोडल एजेंसी के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है।

इसमें शिक्षा जगत, अनुसंधान एवं विकास संगठनों और उद्योगों की भागीदारी वाली एजेंसियां ​​शामिल हैं। कार्यक्रम के मुख्य फोकस क्षेत्रों में दूरदराज के गांवों को बिजली देने के लिए माइक्रोग्रिड, सामुदायिक भवनों के लिए हरित ऊर्जा, ई-मोबिलिटी इकोसिस्टम का सशक्तिकरण, वितरण ग्रिड में स्मार्ट पावर क्वालिटी सेंटर, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, उद्योग और स्वास्थ्य के लिए उच्च वोल्टेज पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रौद्योगिकी विपणन और प्रौद्योगिकी आउटरीच के लिए मंच के साथ स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना शामिल है।

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आखरी अपडेट: 1st May 2025