भारत में भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के चार पवित्र पिपराहवा अवशेष संरक्षित हैं। ऐसे में समय-समय पर खास अवसर पर संरक्षितॉ अवशेष थाईलैंड में प्रदर्शित करने के लिए भेजा जाता है। इस बार भी उनके शिष्यों के अवशेष को थाईलैंड में प्रदर्शित करने के लिए मध्य प्रदेश द्वारा दिल्ली भेजा गया था।
सांची में बौद्ध स्तूप परिसर में लाया गया वापस
वहीं अब भगवान बुद्ध के शिष्यों अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगलायन के पवित्र अवशेषों को थाईलैंड से वापस गुरुवार को सांची में बौद्ध स्तूप परिसर में स्थित चैत्यगिरी विहार मंदिर में लाया गया। यहां भारत सरकार द्वारा अधिकृत तथा राष्ट्रीय संग्रहालय के प्रतिनिधि डीजे प्रदीप द्वारा अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगलायन के पवित्र अवशेषों को महाबोधि सोसायटी श्रीलंका के प्रमुख वानगल उपतिस्स नायक थेरो तथा कलेक्टर अरविंद दुबे को सौंपा गया।
पवित्र अवशेषों को मंदिर में लाते समय दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
बौद्ध स्तूप परिसर स्थित मंदिर में इन पवित्र अवशेषों को विधिवत पूजा-अर्चना कर सुरक्षित रूप से तलघर में रखा गया। पवित्र अवशेषों को मंदिर में लाते समय गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। सुरक्षित तरीके से पूर्ण प्रक्रिया का अभिलेखीकरण, वीडियोग्राफी तथा पंचनामा भी तैयार कराया गया। इस अवसर पर आईबीसी के डायरेक्टर विजयेंद्र थापा, पुलिस अधीक्षक विकास शहवाल भी उपस्थित रहे।
थाईलैंड, बैंकाक और कंबोडिया के श्रद्धालुओं ने किया दर्शन
बता दें कि भारत सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने के उपरांत सांची में बौद्ध स्तूप परिसर में स्थित मंदिर में रखे भगवान बुद्ध के शिष्यों अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगल्यान के पवित्र अवशेषों को 14 फरवरी 2024 को सांची से भोपाल और फिर दिल्ली ले जाया गया। वहां से इन पवित्र अवशेषों को दर्शनार्थ हेतु थाईलैंड, बैंकाक और कंबोडिया विहार ले जाया गया। गत 22 फरवरी से 18 मार्च 2024 तक थाईलैंड और विभिन्न शहरों में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को अनुयायियों और आमजन के अवलोकन के लिए बुद्ध भूमि भारत पैवेलियन में रखा गया। लगभग 40 लाख से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध के शिष्यों अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगलायन के पवित्र अवशेषों के दर्शन किए।