भारतीय वायुयान विधेयक-2024 गुरुवार को राज्यसभा में पारित हो गया। राज्यसभा ने ध्वनि मत से इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित किया। राज्यसभा से पारित हुआ यह विधेयक कानून बनने के उपरांत करीब 90 वर्ष पुराने विमान अधिनियम की जगह लेगा। गुरुवार को राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया यह विधेयक विमानों के डिजाइन, निर्माण, मरम्मत, विमान के संचालन, निगरानी और उनकी बिक्री एवं आयात-निर्यात से संबंधित है।
यह इस संबंध में विधेयक केंद्र सरकार को व्यापक अधिकार प्रदान करता है। इससे केंद्र सरकार को विमानों के डिजाइन उनके निर्माण, मरम्मत, विमानों के संचालन, उपयोग बिक्री व आयात-निर्यात के लिए नियम बनाने का व्यापक अधिकार मिलता है। विधेयक के कानून बन जाने पर हवाई दुर्घटनाओं या अन्य संबंधित घटनाओं की जांच के लिए सरकार को नियम बनाने का विस्तृत अधिकार होगा।
भारत में विमानन नियमों में सुधार व ब्रिटिश कालीन वायुयान अधिनियम, 1934 को प्रतिस्थापित करने के लिए ‘भारतीय वायुयान विधेयक 2024’ को पारित किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य विमानन क्षेत्र में सुरक्षा व निगरानी बढ़ाना, विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार को आवश्यक शक्तियां प्रदान करना है।
राज्यसभा से पहले लोकसभा इस विधेयक को पारित कर चुका है। लोकसभा में इस विधेयक को इसी वर्ष अगस्त में पारित किया गया था। राज्यसभा में गुरुवार को विधेयक पर चर्चा हुई।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विमानन के क्षेत्र में भारत एक महत्वपूर्ण ऊंचाई पर पहुंचना चाहता है और यह विधेयक के कानून बनने के बाद हम उसे ऊंचाई तक अवश्य ही पहुंचा पाएंगे। भारतीय विमानन क्षेत्र की दिक्कतों से वह अवगत हैं। उन्होंने हवाई यात्रा के किराए की अनियमितता का समाधान ढूंढने की बात भी कही। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एयर फेयर का करीब 45 फीसद हवाई ईंधन के खर्च के लिए होता है। ईंधन पर लगने वाला टैक्स यानी वैट राज्य सरकारों द्वारा तय किया जाता है।
उन्होंने बताया कि तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल व दिल्ली जैसे राज्यों में हवाई ईंधन पर वैट काफी अधिक है। किराए के समाधान के लिए टैरिफ मॉनिटरिंग यूनिट को सुदृढ़ करने का कार्य हो रहा है। हवाई चप्पल वालों को हवाई सफर कराने का प्रधानमंत्री मोदी का सपना आधा सच हो चुका है। अब इस सपने को पूरा करने के लिए प्रयत्न जारी है।
राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष के कई सांसदों ने ‘भारतीय वायुयान विधेयक’ का नाम हिंदी में होने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई । इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार देश के विभिन्न व वास्तविक रंगों को दिखाना चाहती है। ‘वायुयान विधेयक’ इन्हीं वास्तविक रंगों का एक उदाहरण है।