प्रतिक्रिया | Sunday, April 20, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

‘धरती के स्वर्ग’ पर तरक्की की रफ़्तार, मोदी की एक और ‘भीष्म प्रतिज्ञा’ पूरी

एक तरफ देश में सिविल कानून के विरोध के नाम पर भय और शांति की चर्चा है तो वहीं दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर में बदलाव और तरक्की की इबारत लिखी जा रही है। जी हां, धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक और भीष्म प्रतिज्ञा पूरी हो चुकी है। आज से लगभग 32 साल पहले साल 1992 में नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 के ख़िलाफ़ एक प्रदर्शन में लाल चौक पर बड़ी प्रतिज्ञा ली थी कि घाटी से न सिर्फ़ आतंकवाद का सफाया होगा बल्कि हिंदुस्तान के ‘मुकुट’ की चमक एक बार फिर दुनिया देखेगी। वाकई आज पीएम मोदी की ये भीष्म प्रतिज्ञा पूरी होती नज़र आ रही है। जिस घाटी पर वर्षों दहशतगर्दी का काला साया रहा वहां अब गोलियों की तड़तड़ाहट नहीं बल्कि विकास की पटरी पर दौड़ती ‘वंदे भारत’ की सीटियां सुनाई देगी।

बदल रही ‘धरती के स्वर्ग’ की फ़िजा

जी हां, इस देश के तमाम नागरिकों का वर्षों पुराना सपना पूरा होने जा रहा है। अब धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू से कश्मीर की वादियों तक ट्रेन से सफर किया जा सकेगा, हालांकि मौजूदा समय में कटरा तक रेल संपर्क है। वहीं अब देश का सबसे चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण श्रीनगर-कटरा रेल ट्रैक भी पूरी तरह तैयार है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी इस बहुप्रतीक्षित श्रीनगर-कटरा वंदे भारत रेल सेवा और उधमपुर-कटरा-बनहाल-श्रीनगर रेल लिंक प्रोजेक्ट का उद्घाटन कर सकते हैं। हिंदुस्तान की इस तरक्की पर दुनिया की निगाह है। कल तक ख़ुद को तुर्रम खां समझने वाले कई देश आज भारत की तरक्की का लोहा मानने को मजबूर हैं लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं था। इसे तय करने के लिए मौजूदा लीडरशिप ने वाकई कई कड़े और बड़े फैसले लिए जिनकी वजह से धरती के स्वर्ग की फ़िजा बदल रही है।

तरक्की की राह पर दौड़ती घाटी

दरअसल, अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से, मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर (J&K) को बेहतर कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और बेहतर सार्वजनिक सेवाओं वाले क्षेत्र में बदलने के उद्देश्य से लगातार कई पहल की हैं। सरकार ने आतंक से लोहा लेने के अलावा बुनियादी ढांचा विकसित करते हुए कनेक्टिविटी का ऐसा तानाबाना बुना है कि घाटी अब तरक्की की राह पर सरपट दौड़ रही है। सरकार ने रणनीतिक तौर पर मजबूती हासिल करते हुए कई सुरंगें और सड़कों का जाल बिछा दिया है।

रणनीतिक तौर पर बड़ी छलांग

जम्मू कश्मीर की तरक्की की बात करते समय Z-Morh सुरंग परियोजना को कैसे भूला जा सकता है। Z-Morh सुरंग का जनवरी 2025 में उद्घाटन किया गया, यह 6.5 किलोमीटर लंबी सुरंग सोनमर्ग को सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करती है, जो एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यही सुरंग साल भर सोनमर्ग तक पहुँच सुनिश्चित करती है और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देती है। इतना ही नहीं ज़ेड-मोड़ सुरंग लद्दाख क्षेत्र में देश की डिफेंस सप्लाई व रणनीतिक तौर पर भी काफी महत्वपूर्ण है।

कश्मीर से लद्दाख तक सीधी पहुंच

ज़ोजी-ला सुरंग: ज़ेड-मोड़ सुरंग के अलावा वर्तमान में ज़ोजी-ला सुरंग पर भी काम चल रहा है। निर्माणाधीन यह सुरंग लगभग 14.2 किलोमीटर लंबी है। सुरंग का उद्देश्य खतरनाक ज़ोजीला दर्रे को दरकिनार करते हुए कश्मीर को लद्दाख से जोड़ना है। पूरा होने पर, यह एशिया की सबसे लंबी सुरंग होगी, जो यात्रा के समय को काफी कम कर देगी और सामरिक सैन्य रसद को बढ़ाएगी।

भारत के हौसले को दर्शाते ये पुल

वहीं, अगर बात करें, रेल परियोजनाओं की तो भारत ने घाटी को विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें से ही एक है चिनाब रेल पुल। दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के रूप में जाना जाने वाला यह पुल एफिल टॉवर से भी ऊंचा है और इंजीनियरिंग का एक शानदार नमूना है। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कश्मीर घाटी को शेष भारत से जोड़ना है। इसके अलावा अंजी खाद पुल के निर्माण ने भी घाटी परिवहन नेटवर्क को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे पुल है। यह कटरा और रियासी के बीच संपर्क को बढ़ाता है।

छंट रहा नाउम्मीदी का अंधेरा

जम्मू कश्मीर से हर तरह की नाउम्मीदी का अंधेरा छंटने लगा है। किशनगंगा जलविद्युत परियोजना, बगलीहार बांध योजना इसका जीता जागता उदाहरण है। किशनगंगा जलविद्युत परियोजना का मई 2018 में उद्घाटन किया गया। 330 मेगावाट की किशनगंगा जलविद्युत परियोजना से यहां के लोगों की ज़िंदगी रोशन हो रही है। इसके अलावा बगलीहार बांध परियोजना का दूसरा चरण भी मोदी सरकार के दौरान पूरा हो चुका है। जिससे मौजूदा क्षमता में 450 मेगावाट की वृद्धि हुई और जम्मू-कश्मीर में ऊर्जा सप्लाई को जबरदस्त मजबूती मिली है।

कुल मिलाकर धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर ने तरक्की की ऐसी रफ़्तार पकड़ी है कि पड़ोसी मुल्क के टुकड़ों पर पलने वाले कुछ नकाबपोशों की कानों पर आने वाले वक्त में अब ताला डलता नजर आ रहा है।

(लेखक के पास मीडिया जगत में लगभग डेढ़ दशक का अनुभव है, वे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में काम कर चुके हैं)

आगंतुकों: 23882608
आखरी अपडेट: 20th Apr 2025