प्रतिक्रिया | Tuesday, January 21, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

साल 2024 विधि कार्य विभाग के लिए असंख्य उपलब्धियों का वर्ष रहा है। इस वर्ष विभाग ने भारत सरकार (कार्य आवंटन) नियम, 1961 के अनुसार आवंटित व्यापक गतिविधियों को संपन्न किया है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक साथ चुनाव कराने के विषय पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपने गठन के बाद से 191 दिनों तक विभिन्न हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श तथा शोध के बाद 14 मार्च 2024 को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी।

इसी साल एक सदी से भी अधिक पुराने तीन औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों की जगह पर तीन नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को लागू किया गया। वहीं, डिजिटल क्रांति के बीच, विधिक मामलों का विभाग, जो कभी कागज़ात से भरा हुआ था, उसने कागज़ रहित कामकाज के वातावरण में बदलाव में काफ़ी प्रगति की है। राज्य मंत्री, विधि एवं न्याय मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने 3 सितंबर 2024 को विधि एवं न्याय विभाग द्वारा आयोजित एक समारोह में नये नोटरी पोर्टल (https://notary.gov.in) का शुभारंभ किया। 26 नवंबर 2024 को विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधिक मामलों के विभाग ने संविधान दिवस और भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ मनाई। साल 2024 में भारत ने ब्रिक्स न्याय मंत्रियों की बैठक में भाग लिया, विधिक सुधारों और पहलों को प्रदर्शित किया।

वर्ष 2024 की प्रमुख उपलब्धियों इस प्रकार हैं –

एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट

भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक साथ चुनाव कराने के विषय पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति ने अपने गठन के बाद से 191 दिनों तक विभिन्न हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श तथा शोध के बाद 14 मार्च 2024 को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी।

समिति ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले विभिन्न हितधारकों के विचारों को जानने के लिए व्यापक चर्चा की थी। इस दौरान 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए, जिनमें से 32 ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया। कई राजनीतिक दलों ने इस मामले पर उच्च-स्तरीय समिति के साथ विस्तार से विचार-विमर्श किया। सीआईआई, फिक्की, एसोचैम जैसे शीर्ष व्यापारिक संगठनों और प्रख्यात अर्थशास्त्रियों से भी एक साथ चुनाव कराने के आर्थिक परिणामों पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। उन्होंने एक साथ चुनाव कराने की वकालत करते हुए इसे आर्थिक रूप से आवश्यक बताया, क्योंकि इससे मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था की गति पर असर पड़ता है।

सभी सुझावों और दृष्टिकोणों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद समिति ने एक साथ चुनाव कराने के लिए दो-चरण वाले दृष्टिकोण की सिफारिश की है। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि सरकार के तीनों स्तरों के चुनावों में उपयोग के लिए एक ही मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) होना चाहिए। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदन के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया है।

तीन नये आपराधिक कानून लागू किये गये

वर्ष 2024 में, एक सदी से भी अधिक पुराने तीन औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों की जगह पर तीन नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को लागू किया गया। वे पूर्व के उन कानूनों की जगह हुए बड़े बदलाव को दर्शाते हैं, जिनका उद्देश्य औपनिवेशिक हितों को पूरा करना था। उनका निरस्तीकरण उस विरासत के अवशेषों को हटाने की दिशा में एक और कदम है।

22वें विधि आयोग द्वारा की गई कई सिफारिशें

साल 2024 के दौरान, भारत के 22वें विधि आयोग ने कई महत्वपूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं, जिनमें अनिवासी भारतीयों और भारत के विदेशी नागरिकों से संबंधित वैवाहिक मुद्दों पर कानून, महामारी रोग अधिनियम, 1897 की व्यापक समीक्षा, व्यापार से जुड़े गुप्त मामलों और आर्थिक गुप्त जानकारियां प्राप्त करने से संबंधित कानून, प्रथम सूचना रिपोर्ट के ऑनलाइन पंजीकरण को सक्षम करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 154 में संशोधन, राजद्रोह के कानून का उपयोग आदि शामिल हैं।

अनिवासी भारतीयों और भारत के विदेशी नागरिकों से संबंधित वैवाहिक मुद्दों पर कानून पर आयोग ने गहन विचार-विमर्श

इस साल ‘अनिवासी भारतीयों और भारत के विदेशी नागरिकों से संबंधित वैवाहिक मुद्दों पर कानून’ पर आयोग ने गहन विचार-विमर्श के बाद सिफारिशें कीं। इसके तहत कहा गया है कि प्रस्तावित केंद्रीय कानून इतना व्यापक होना चाहिए कि उसमें अनिवासी भारतीयों और भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के भारतीय नागरिकों के साथ विवाह से जुड़े सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जा सके।

यह भी सिफारिश की गई है कि एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच सभी विवाहों का भारत में अनिवार्य रूप से पंजीकरण किया जाना चाहिए। उक्त व्यापक केंद्रीय कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरण-पोषण, बच्चों के संरक्षण और भरण-पोषण, एनआरआई/ओसीआई पर समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेजों की तामील आदि के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए।

इसके अलावा, यह सिफारिश की गई है कि वैवाहिक स्थिति की घोषणा, एक जीवनसाथी के पासपोर्ट को दूसरे के साथ जोड़ने और दोनों जीवनसाथी के पासपोर्ट पर विवाह पंजीकरण संख्या का उल्लेख करने की व्यवस्था को अनिवार्य बनाने के लिए पासपोर्ट अधिनियम, 1967 में अपेक्षित संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।

आपराधिक मानहानि के संबंध में विभिन्न निर्णयों का विश्लेषण करते हुए व्यापक अध्ययन

इसी साल आपराधिक मानहानि के संबंध में, 22वें विधि आयोग ने मानहानि कानून के इतिहास, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के साथ इसके संबंध और देश भर के न्यायालयों द्वारा दिए गए विभिन्न निर्णयों का विश्लेषण करते हुए व्यापक अध्ययन किया। आयोग ने अन्य बातों के साथ-साथ प्रतिष्ठा के अधिकार तथा बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के बीच संबंधों का भी अध्ययन किया और इस बात पर भी विचार किया कि दोनों के बीच किस तरह से संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।

“महामारी रोग अधिनियम, 1897 की व्यापक समीक्षा” पर रिपोर्ट

भारत के 22वें विधि आयोग ने भारत सरकार को “महामारी रोग अधिनियम, 1897 की व्यापक समीक्षा” शीर्षक से अपनी रिपोर्ट संख्या 286 सौंपी। कोविड-19 महामारी ने भारत के स्वास्थ्य संबंधी ढांचे के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती पेश की। सरकार उस समय पैदा स्थिति पर तेजी से कार्रवाई करने के लिए तत्पर थी, लेकिन इस संकट से निपटने के दौरान, स्वास्थ्य से संबंधित कानूनी ढांचे में कुछ सीमाएँ महसूस की गईं।

कोविड-19 के लिए लॉकडाउन लगाने जैसी तत्काल कार्रवाई आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत की गई थी। इसके अलावा, तत्कालीन चुनौतियों के मद्देनजर, विशेष रूप से स्वास्थ्य कर्मियों के सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए, संसद ने 2020 में महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन किया।

इसके अतिरिक्त, यह देखते हुए कि स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित मौलिक अधिकार है और नागरिकों के लिए इसका पालन सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है जिसके लिए वह बाध्य भी है, तो भविष्य में किसी भी ऐसी स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए कानून की पुनः समीक्षा करना और उसे मजबूत बनाना अनिवार्य हो जाता है।

भारतीय संविधान पर ऑनलाइन हिंदी पाठ्यक्रम का शुभारंभ

26 नवंबर 2024 को विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधिक मामलों के विभाग ने संविधान दिवस और भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ मनाई। संविधान दिवस पर विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधिक मामलों के विभाग ने देश की सर्वोच्च नैक (NAAC) रैंकिंग वाले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय यानी नालसार (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद के साथ मिलकर हिंदी में भारतीय संविधान पर पाठ्यक्रम शुरू किया।

डिजिटलीकरण और साइबर सुरक्षा

भारत के डिजिटल परिदृश्य में केवल एक दशक के भीतर आधी से ज़्यादा आबादी को सशक्त बनाने में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस डिजिटल क्रांति के बीच, विधिक मामलों का विभाग, जो कभी कागज़ात से भरा हुआ था, उसने कागज़ रहित कामकाज के वातावरण में बदलाव में काफ़ी प्रगति की है।

वहीं, कानूनी सूचना प्रबंधन और ब्रीफ़िंग सिस्टम (LIMBS) की शुरूआत भी एक उल्लेखनीय पहल है, जो भारत संघ से जुड़े न्यायालय संबंधी मामलों पर नज़र रखने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है। कानूनी सूचना प्रबंधन और ब्रीफ़िंग सिस्टम (LIMBS) विधि अधिकारियों, पैनल काउंसल और अधिवक्ताओं को वास्तविक समय में मामलों की निगरानी और उन्हें शुल्क जमा करने में सक्षम बनाता है।

इसके अलावा, विभाग ने कई दस्तावेजों और प्रक्रियाओं को डिजिटल करके, पारदर्शिता बढ़ाकर और निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाकर, कार्यालय में पेपरलेस कामकाज की स्थिति चालू की है।

साइबर सुरक्षा में घुसपैठ बारे में जागरूकता और विभिन्न प्रकार की साइबर धोखाधड़ी से बचाव सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा साइबर सुरक्षा पर मासिक ऑनलाइन बुलेटिन भी शुरू किया गया है।

आगंतुकों: 15312777
आखरी अपडेट: 21st Jan 2025