सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने आज (गुरुवार) को इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी-2024) के अवसर पर ट्राई द्वारा आयोजित ‘प्रसारण क्षेत्र में उभरते रुझान और प्रौद्योगिकी’ विषय पर संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर ट्राई के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव संजय जाजू और ट्राई सचिव अतुल कुमार चौधरी भी उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम उद्योग में हाल की तकनीकी प्रगति और उनके बढ़ते प्रभाव की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है।
ट्राई सचिव अतुल कुमार चौधरी ने गर्मजोशी भरे स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज की संगोष्ठी इस क्षेत्र में नई चर्चाओं और विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करने के ट्राई के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए है, जिसमें हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर नियामक ढांचे में आवश्यक बदलावों पर चर्चा की जाएगी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) में सचिव संजय जाजू ने अपने विशेष संबोधन में प्रसारण क्षेत्र को सक्षम बनाने के लिए विकासोन्मुखी नीतियों और पहलों को आकार देने में मंत्रालय की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने डिजिटल रेडियो की क्षमता पर जोर दिया, जो एक जनसंचार का किफायती साधन है जो स्पेक्ट्रम के उपयोग को अनुकूलित करता है और ध्वनि की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करता है।
उन्होंने डायरेक्ट-टू-मोबाइल (डी2एम) प्रसारण के लाभों पर भी चर्चा की, जो सीधे मोबाइल फोन पर कंटेंट के वितरण को सक्षम बनाता है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक सेवा प्रसारक प्रसार भारती, आईआईटी कानपुर और सांख्य लैब्स के सहयोग से उच्च-शक्ति और निम्न-शक्ति वाले दोनों ट्रांसमीटरों का उपयोग करके डी2एम परीक्षण कर रहा है।
उन्होंने 5जी की परिवर्तनकारी क्षमता पर भी बात की, खासकर जब इसे संवर्धित वास्तविकता (ऑगमेंटेड रियलिटी) और आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रियलिटी) जैसी इमर्सिव तकनीकों के साथ जोड़ा जाता है, जो अत्यधिक आकर्षक प्रसारण अनुभव प्रदान कर सकते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी (एवीजीसी-एक्सआर) के क्षेत्र में व्यापक विकास की उम्मीद है, जिसमें स्टार्टअप संस्कृति, रचनात्मकता को बढ़ावा देने और कंटेंट के उपभोग के अनुभव को बढ़ाने की क्षमता है।
अपने मुख्य भाषण में, ट्राई के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी ने मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र की महत्वपूर्ण वृद्धि को रेखांकित किया, जिसके 2026 तक 3.08 ट्रिलियन रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, जो नए मीडिया प्लेटफार्मों के तेजी से विस्तार से प्रेरित है। उन्होंने इमर्सिव प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर दिया, जो अधिक आकर्षक और इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करती है।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि डायरेक्ट-टू-मोबाइल (डी2एम) प्रसारण एक वैकल्पिक कंटेंट वितरण तकनीक के रूप में उभर रहा है, जो इंटरनेट के बिना भी एक साथ प्रसारण की अनुमति देता है। इसके अलावा, उन्होंने विशेष रूप से उन क्षेत्रों में डिजिटल रेडियो के लाभों पर जोर दिया और जहां टेलीविजन कनेक्शन नहीं हैं और साथ ही, उन्होंने उपभोक्ता हितों की रक्षा करने, सेवा प्रदाताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने और प्रसारण क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देने वाली दूरदर्शी सिफारिशें और नियम बनाने की ट्राई की प्रतिबद्धता दोहराई। ट्राई ने हाल ही में राष्ट्रीय प्रसारण नीति के निर्माण के लिए अपनी सिफारिशें दी हैं।
अपने उद्घाटन भाषण में, सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने भारत के प्रसारण क्षेत्र पर तकनीकी प्रगति के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर दिया, जिसमें दर्शकों का मुख्य जोर कंटेंट पर हो गया है। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उनके समावेश को सुनिश्चित करने के लिए कमजोर आबादी के लिए प्रसारण सेवाओं तक पहुंच में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने एवीजीसी क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने, कारोबारी सुगमता को बढ़ाने के लिए एक सुव्यवस्थित सिंगल-विंडो सिस्टम के माध्यम से भारत में कंटेंट के उत्पादन को प्रोत्साहन देने का आह्वान किया। उन्होंने कंटेंट आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के विकास का उल्लेख किया, जिससे कंटेंट निर्माताओं को भी लाभ मिल रहा है।
उन्होंने स्थानीय कंटेंट को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए 234 नए शहरों में एफएम रेडियो चैनलों की नीलामी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में दी गई मंजूरी का भी उल्लेख किया। उन्होंने आर्थिक विकास और सांस्कृतिक प्रसार में प्रसारण क्षेत्र की भूमिका को मजबूत करने के उद्देश्य से तकनीकी प्रगति का उपयोग करने और सभी के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले मीडिया कंटेंट तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
आज की संगोष्ठी का उद्देश्य प्रसारण उपयोग के विभिन्न मामलों में इमर्सिव प्रौद्योगिकियों के व्यावहारिक अनुप्रयोगों और परिवर्तनकारी क्षमता का पता लगाना है। विचार-विमर्श लगातार होने वाले तीन सत्रों (कार्यक्रम संलग्न) में विभाजित है। पहला सत्र ‘प्रसारण परिदृश्य में इमर्सिव प्रौद्योगिकियों का उपयोग’ पर होगा, इसके बाद ‘डी2एम और 5जी प्रसारण: अवसर और चुनौतियां’ पर सत्र और अंतिम सत्र ‘डिजिटल रेडियो प्रौद्योगिकी: भारत में अमल करने की रणनीति’ पर होगा।
इन सत्रों के वक्ताओं में संचार क्षेत्र, टेलीविजन और रेडियो प्रसारण बिरादरी के प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, डिवाइस और नेटवर्क निर्माता, प्रौद्योगिकी दिग्गज और सरकार से जुड़े लोग शामिल हैं। इस संगोष्ठी में 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।