प्रतिक्रिया | Tuesday, November 05, 2024

हिमाचल प्रदेश के गांवों में ठिरशू मेले का आयोजन किया गया, देवी-देवताओं से फसल के अच्छे होने की मांगी मन्नत

देवभूमि हिमाचल में जैसे ही बसंत आगमन होता है नए फसलों की बिजाई शुरू होती है, ऐसे में देवी देवताओं को खुश करने के लिए गांव-गांव में ठिरशू मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में स्थानीय लोक संस्कृति की खूब झलक देखने को मिलती है। दरअसल पुराने समय में जब संचार के साधन नहीं हुआ करते थे, तब मेलों का आयोजन मिलने-जुलने के लिए किया जाता था। पौराणिक संस्कृति को दिखाने के लिए आज भी मेलों का बड़ा महत्व है।

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के ऊपरी क्षेत्रों में इन दोनों गांव-गांव में ठिरशू मेले का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य अपने देवी- देवताओं को खुश करना होता है ताकि आने वाली साल फसल जैसे- सेब, नाशपाती व अन्य गुठलीदार फलों की पैदावार अच्छी हो। यह उत्सव कई सालों से मनाया जा रहा है। इस दौरान देवी-देवताओं से मन्नत मांगी जाती है कि जितने भी सेब, नाशपाती और दूसरे गुठलीदार फल है, उनमें फसल अच्छी रहे। मंदिरों में इस दौरान खूब नाच गान और मनोरंजन का भी बंदोबस्त होता है। सगे संबंधियों से मेलजोल का भी अवसर होता है।

इस दौरान लोग देवी-देवताओं से मन्नत मांगते है ताकि और साल भर सुख शांति से गुजरे। ये लोग फसलों के अच्छे होने की कामना करते हैं। ठिरशू मेले में देव वाद्य यंत्रों की धुनों में दिनभर नाटियों का दौर चलता रहा। लोगों ने देवी देवताओं संग नाच का खूब आनंद लिया। इसी तरह रामपुर उप मंडल के मझेवटी गांव में भी ठिरशू मेले का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय देवी-देवताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान देवता गणेश मझेवठी और देवता कुठालिया लेलन गांव के लोगों ने सुख समृद्धि व साल फसल के अच्छे होने की मन्नत मांगी।

दरअसल, प्रदेश में आजकल सेब बाहुल उत्पादक इलाकों में ओलावृष्टि के साथ-साथ कई बार फसलों के लिए मौसम अकसर प्रतिकूल हो जाता है। इससे किसान-बागबानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोग देवी-देवताओं से कृपा और मौसम अनुकूल रहे की मन्नत मांगते है। उल्लेखनीय है कि गर्मी का मौसम शुरू हो चूका है और पेड़ पौधों में फ्लावरिंग जोरों पर है।

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आखरी अपडेट: 6th Nov 2024