भारतीय रिजर्व बैंक आज यानी बुधवार से (3 अप्रैल) वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पहली तीन दिवसीय मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक आयोजित करेगा। बैठक के दौरान लिए गए निर्णय 5 अप्रैल शुक्रवार की सुबह को सार्वजनिक किए जाएंगे। आरबीआई आम तौर पर एक वित्तीय वर्ष में छह द्विमासिक बैठकें आयोजित करता है, जहां यह ब्याज दरों, धन आपूर्ति (मनी सप्लाई), मुद्रास्फीति और विभिन्न आर्थिक संकेतकों पर विचार-विमर्श करता है।
इन तारीखों पर होंगे मौद्रिक नीति समिति की बैठकें
मौद्रिक नीति पर आरबीआई की अन्य पांच बैठकें 5-7 जून, 2024 ; 6-8 अगस्त, 2024; 7-9 अक्टूबर 2024; 4-6 दिसंबर, 2024; 5-7 फरवरी, 2025 को निर्धारित हैं । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी फरवरी की बैठक में सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर ही बनाए रखने का निर्णय लिया था जो लगातार छठी बार उसी रेपो दर पर यथावत बनाए रखी गई।
गौरतलब हो कि रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को ऋण देता है। इस साल फरवरी में तीन दिवसीय समीक्षा बैठक के बाद नीतिगत निर्णय पर विचार-विमर्श करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने नीतिगत रुख को यथावत बनाए रखने के पीछे लचीली मुद्रास्फीति और मजबूत विकास गतिशीलता को मुख्य वजह बताई। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं सहित कई देशों के लिए जहां एक तरफ मुद्रास्फीति एक चिंता का विषय रही है, वहीं दूसरी ओर भारत में काफी हद तक अपनी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में कामयाब रहा है।
विशेषज्ञों ने इस बार भी रेपो रेट में यथावत रहने की उम्मीद जताई
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने मौद्रिक नीति समिति द्वारा 5 अप्रैल को नीतिगत दरों पर किसी बडे़ बदलाव न होने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि इस साल ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है, लेकिन अभी इसके लिए अनुकूल समय नहीं है। विजयकुमार ने बताया कि भारत के मजबूत आर्थिक विकास पूर्वानुमान को देखते हुए अभी दरों में कटौती की फिलहाल कोई आवश्यकता नहीं है। गौरतलब हो कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मई 2022 से रेपो दर में 250 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था। ब्याज दरें बढ़ाना एक मौद्रिक नीति एक साधन है जो आम तौर पर अर्थव्यवस्था में मांग को दबाने में मदद करता है, जिससे मुद्रास्फीति दर में गिरावट में मदद मिलती है।
भारत में खुदरा (रिटेल) मुद्रास्फीति फरवरी में यह 5.09 फीसदी थी। वहीं एसबीआई रिसर्च के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) चालू वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में दर में कटौती करने की संभावना है जबिक मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक जून 2024 से दरों में कटौती शुरू कर देगा।