प्रतिक्रिया | Sunday, December 22, 2024

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

 

 

भारत से तीन नामांकन यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय रजिस्टर’ में शामिल हो गए। दरअसल, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए विश्व की स्मृति समिति (मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमिटि फॉर एशिया एंड द पैसिफिक- एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं बैठक में फैसला लिया गया।

मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड सूची में इन्हें मिली जगह

उलानबटार (मंगोलिया) में 6 से 10 मई को आयोजित इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र से 38 प्रतिनिधि और 40 पर्यवेक्षक तथा नामित सदस्य एकत्र हुए थे। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के डीन (प्रशासन) एवं कला निधि प्रभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश चंद्र गौड़ ने भारत की इन तीन प्रविष्ठियों को प्रस्तुत किया। सहृदयलोक-लोचन की पांडुलिपि (भारतीय काव्यशास्त्र का महत्वपूर्ण पाठ), पञ्चतन्त्र की पांडुलिपि और तुलसीदास के रामचरितमानस की चित्रित पांडुलिपि।
रजिस्टर उप-समिति (आरएससी) द्वारा विस्तृत चर्चा और सिफारिशों के बाद तथा सदस्य देशों के प्रतिनिधियों द्वारा वोटिंग के बाद तीनों नामांकन सफलतापूर्वक शामिल हो गए, जो 2008 में रजिस्टर की शुरुआत से पहले किए गए पहले भारतीय प्रवेशों को चिह्नित करते हैं।

तीनों पांडुलिपियों का भारतीय साहित्य और संस्कृति में महत्व

‘रामचरितमानस’, ‘पञ्चतन्त्र’ और ‘सहृदयलोक-लोचन’ ऐसी कालजयी कृतियां हैं, जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है, राष्ट्र के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है। इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान का अतिक्रमण कर भारत और उसके बाहर भी पाठकों और कलाकारों की पीढ़ियों पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

किसने की रचना

बता दें कि ‘सहृदयालोक-लोचन’ की रचना नौवीं शताब्दी में आचार्य आनंदवर्धन ने की थी, जबकि ‘पञ्चतन्त्र’ की रचना पं. विष्णु शर्मा ने की थी। इन पांडुलिपियों का समावेश भारत के लिए गौरव का क्षण है, जो देश की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है। यह वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण प्रयासों में एक कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है। इन उत्कृष्ट कृतियों का सम्मान करके, हम न केवल उनके रचनाकारों की रचनात्मक प्रतिभा को श्रद्धांजलि देते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनकी गहन बुद्धिमता और सार्वकालिक शिक्षाएं भावी पीढ़ियों को प्रेरित और प्रबुद्ध करती रहें।

आगंतुकों: 13410345
आखरी अपडेट: 22nd Dec 2024