प्रतिक्रिया | Saturday, September 07, 2024

प्याज की पैदावार बढ़ाने के लिए जानें कैसे करें बीज की बुआई, नर्सरी प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

 

प्याज एक अत्यंत लोकप्रिए सब्जी है जो भारतीय व्यंजनों का एक अभिन्न घटक है। प्याज का उपयोग मुख्यता सब्जी एवं मसाले के रूप में भोजन का जायका बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसमे पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम, सोडियम, फोलेट्स, विटामिन ए, सी, और ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फास्फोरस पाया जाता है। इसके अलावा प्याज में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-एलर्जिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण भी पाए जाते हैं। इन्हीं गुणों के कारण प्याज को एक सुपर फूड माना जाता है।

दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक और निर्यातक देश भारत

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक और निर्यातक राष्ट्र है। प्याज के विशिष्ट स्वाद और औषधीय गुणों के कारण स्वदेशी एवं वैश्विक बाजारों में सालभर बढ़िया मांग बनी रहती है। साथ ही कोल्ड स्टोरेज और कटाई उपरांत कुशल प्रबंधन की सुविधों की व्यापक उपलब्धत के कारण अब किसान प्याज की व्यावसायिक खेती और नर्सरी पौध तैयार कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। भारत में मुख्यतः इसकी खेती  महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु , झारखंड और तेलंगाना में की जाती हैं। 

प्याज की व्यावसायिक खेती खरीफ, पछेती खरीफ एवं रबी सीजन में की जा सकती है। प्याज की खेती मुख्यता नर्सरी पौध के माध्यम से ली जाती है परंतु कुछ क्षेत्रों मे बल्बलेट तथा बीज के छिड़काव के माध्यम से भी की जाती है। खरीफ एवं पछेती खरीफ मे प्याज की फसल लेने हेतु नर्सरी प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसके लिए इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

1–नर्सरी तैयार करने के लिए उन्नत किस्मों के बीजों का ही प्रयोग करना चाहिए। खरीफ प्याज की नर्सरी लगाने के लिए 15 जून से लेकर 15 जुलाई का समय बेहतर रहता है। वहीं पछेती खरीफ हेतु नर्सरी लगाने का उत्तम समय अगस्त से सितंबर है। 

2–500 वर्ग मीटर नर्सरी बेड में एक हैक्टेर युक्त प्याज के पौध तैयार हो जाते हैं जिसके लिए 5 से 7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। 

3–प्याज के बीज आमतौर पर 1.2 मीटर चौड़ाई और 3-4 मीटर लंबाई के उठे हुए बेड पर पंक्ति पद्धति से बोए जाते हैं। बुआई से पूर्व बीज को फफूंदीनाशक से उपचारित करना चाहिए। बुआई के उपरांत कम्पोस्ट खाद या मिट्टी की हल्की परत से बीजों को ढक कर फुहारे से पानी दें और क्यारियों को घास फूस या अन्य किसी वनस्पति आवरण से ढक दें। 

4–खरीफ नर्सरी में बुआई के उरांत 35-40 दिन के अंदर प्रत्यारोपण हेतु पौध तैयार हो जाती है। अगर पछेती खरीफ हेतु प्याज की नर्सरी लगा रहे हैं तो पौध 45-50 दिनों में तैयार हो जाती है। 

5–पौधे को नर्सरी से निकालते समय मिट्टी मे पर्याप्त नमी होना चाहिए और यह विशेष ध्यान रखें की पौधे की जड़ न टूट पाए।

6–बीमारी से ग्रसित पौधों को नर्सरी से निकालते समय ही अलग कर देना चाहिए। ऐसे पौधों की रोपाई नहीं करना चाहिए।

7–पौधे को फफूंदीनाशक से उपचार करने के बाद प्रत्यारोपन करें ताकि पौधों को बीमारियों से बचाया जा सके और अच्छी बढ़त हो सके। जहां तक संभव हो पौधों की रोपाई शाम के वक्त करना चाहिए।  

8–अत्यधिक छोटे या बड़े पौधों की रोपाई खेत में नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उत्पादित प्याज की गुणवत्ता एवं भंडारण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।  

आप भी अगर प्याज की व्यावसायिक खेती, नर्सरी या गृह वाटिका मे लगाना चाहते हैं तो गुन्वत्तापूर्ण प्याज के बीज आप घर बैठे ही ऑनलाइन ऑर्डर कर रष्ट्रीय बीज निगम (भारत सरकार का उपक्रम) से मंगवा सकते है। प्याज के उन्नत बीज ऑनलाइन ऑर्डर करने हेतु आप रष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट www.indiaseeds.com, ओएनडीसी-माय स्टोर के ऐप या नीचे दिए क्यूआर कोड़े का प्रयोग कर सकते है।

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आखरी अपडेट: 7th Sep 2024