प्रतिक्रिया | Monday, March 31, 2025

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हुर्रियत के दो संगठनों ने अलगाववाद को त्यागा, पीएम मोदी के नए भारत पर जताया विश्वास: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को जानकारी दी कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े दो संगठनों ने अलगाववाद को त्याग दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्मित नए भारत में अपना विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के तहत अलगाववाद अपनी अंतिम सांस ले रहा है और पूरे कश्मीर में एकता की जीत की गूंज सुनाई दे रही है।

कश्मीर घाटी में अलगाववाद अपनी अंतिम सांस ले रहा है

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “कश्मीर घाटी से एक और बड़ी खुशखबरी। हुर्रियत से जुड़े दो और समूहों, जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकलाल और जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकामत ने अलगाववाद को त्याग दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्मित नए भारत में अपना विश्वास जताया है। मोदी सरकार के तहत अलगाववाद अपनी अंतिम सांस ले रहा है और पूरे कश्मीर में एकता की जीत की गूंज सुनाई दे रही है।” इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जानकारी दी थी कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दो समूहों ने जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) और डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट ने अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की। 

प्रधानमंत्री मोदी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के निर्माण के दृष्टिकोण की सबसे बड़ी जीत

इसकी जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, “कश्मीर में अलगाववाद इतिहास बन चुका है। मोदी सरकार की एकीकरणकारी नीतियों ने जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद को खत्म कर दिया है। हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है। मैं भारत की एकता को मजबूत करने की दिशा में इस कदम का स्वागत करता हूं और ऐसे सभी समूहों से आग्रह करता हूं कि वे आगे आएं और अलगाववाद को हमेशा के लिए खत्म करें। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के निर्माण के दृष्टिकोण की बड़ी जीत है।”

भारतीय युवाओं का आतंकवादियों से जुड़ाव लगभग खत्म

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया था कि घाटी से आर्टिकल-370 हटने के बाद भारतीय युवाओं का आतंकवादियों से जुड़ाव लगभग खत्म हो गया है। 10 साल पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का महिमामंडन होता था, जनाजों का जुलूस निकाला जाता था। हमारे समय में भी आतंकवादी मारे गए, ज्यादा मारे गए, लेकिन किसी के जनाजे का जुलूस नहीं निकाला गया। जो आतंकवादी जहां मारा जाता है, वहीं दफना दिया जाता है।(इनपुट-आईएएनएस)

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आखरी अपडेट: 30th Mar 2025