गुजरात का गरबा यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल हुआ हैं। गरबा इस सूची में शामिल होने वाला भारत का 15वां आईसीएच तत्व है। अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (ICH) की सुरक्षा के लिए अंतर सरकारी समिति (Intergovernmental Committee) की 18वीं बैठक के दौरान 2003 के कन्वेंशन के प्रावधानों के तहत यूनेस्को ने 'गुजरात के गरबा' को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत बोत्सवाना में चल रही है। गुजरात सरकार द्वारा राज्य के सभी जिलों में इसकी लाइव स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है। गरबा को इस सूची में शामिल करने का फैसला बुधवार (6 दिसंबर 2023) को यूनेस्को के बोत्सवाना सम्मेलन में लिया गया है। देश की इस उपलब्धि पर अपने प्रसन्नता जताते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गरबा जीवन, एकता और भारत की गहरी परंपराओं का उत्सव है और अमूर्त विरासत सूची में इसका शिलालेख दुनिया को भारतीय संस्कृति की सुंदरता को दर्शाता है।
पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया चैनल एक्स (X) पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, यह सम्मान सभी देशवासियों को भावी पीढ़ियों के लिए देश की विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने इस वैश्विक मान्यता के लिए सभी को बधाई दी।
https://x.com/narendramodi/status/1732401051758887301?s=20
एकीकृत शक्ति के रूप में गरबा की भूमिका महत्वपूर्ण
इस बारे में संस्कृति मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि यह उपलब्धि सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने वाली एक एकीकृत शक्ति के रूप में गरबा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है। एक नृत्य शैली के रूप में गरबा धार्मिक और भक्ति की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है, जिसमें सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। गरबा समुदायों को एक साथ लाने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रहा है। यह उपलब्धि हमारी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा, प्रचार और संरक्षण के प्रति भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की प्रतिबद्धता और प्रयासों पर प्रकाश डालती है।
यूनेस्को के कई सदस्य देशों ने दी बधाई
बता दें कि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (आईसीएच) की सुरक्षा के लिए अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक बोत्सवाना के कसाने में 5 दिसंबर को शुरू हुई जो 9 दिसंबर, 2023 तक चलेगी। यूनेस्को द्वारा गुजरात के गरबा को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया जाना दुनिया भर में रहने वाले सभी गुजरातियों के लिए गर्व का क्षण है। यूनेस्को के कई सदस्य देशों ने भारत को इस उपलब्धि पर बधाई दी है। इस उल्लेखनीय अवसर का उत्सव मनाने के लिए, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के 8 नर्तकों के एक समूह ने यूनेस्को के बैठक स्थल पर गरबा नृत्य शैली का प्रदर्शन किया। भारत में, गुजरात सरकार इस उपलब्धि का उत्सव मनाने के लिए गुजरात के जिलों में कई क्यूरेटेड 'गरबा' कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने क्या कहा ?
केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक एक्स पोस्ट में कहा कि यूनेस्को की इस सूची में गरबा को शामिल किया जाना विश्व के सामने हमारी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के अथक प्रयासों का प्रमाण है।
https://x.com/kishanreddybjp/status/1732332569889530117?s=20
गरबा के रूप देवी मां की भक्ति की सदियों पुरानी परंपरा
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘गरबा के रूप में देवी मां की भक्ति की सदियों पुरानी परंपरा जीवित है और बढ़ रही है। गुजरात की पहचान बन चुके गरबा को यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची के तहत मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह दुनिया भर में फैले गुजरातियों के लिए गौरव का क्षण है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की विरासत को महत्व दिए जाने और ऐसी विरासत को दुनिया भर में ले जाने का परिणाम है। गुजरात के लोगों को बधाई।''
https://x.com/Bhupendrapbjp/status/1732353647781314919?s=20
गरबा नृत्य
यह नृत्य कलश के चारों ओर होता है, जिसमें लौ जलती है। इसके साथ ही देवी मां अम्बा की एक तस्वीर होती है। कई वर्षों पहले गरबा को गर्भदीप के नाम से ही जाना जाता था। गर्भदीप के चारों ओर स्त्रियां-पुरुष गोल घेरे में नृत्य कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। गुजरात की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर ‘गरबा’ को अपनी सूची में शामिल करने वाली यूनेस्को की यह स्वीकृति इसकी वैश्विक पहचान और प्रामाणिक सार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी।
क्या है यूनेस्को 2003 कन्वेंशन ?
दरअसल यूनेस्को 2003 कन्वेंशन के तहत इस सूचीबद्ध तंत्र का उद्देश्य अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की पहचान को बढ़ाना, इसके महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करने वाले संवाद को आगे ले जाना है। भारत को 2022 में 4 वर्षों के कार्यकाल के लिए आईसीएच 2003 कन्वेंशन की 24 सदस्यीय अंतर-सरकारी समिति (आईजीसी) का हिस्सा बनने के लिए चुना गया था।
भारत के साथ-साथ, इस वर्ष की अंतर सरकारी समिति (आईजीसी) में अंगोला, बांग्लादेश, बोत्सवाना, ब्राजील, बुर्किना फासो, कोटे डी आइवर, चेकिया, इथियोपिया, जर्मनी, मलेशिया, मॉरिटानिया, मोरक्को, पनामा, पैराग्वे, पेरू, कोरिया गणराज्य, रवांडा, सऊदी अरब, स्लोवाकिया, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, उज्बेकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं।