केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय से परंपरानुसार डिजिटल प्रारूप में केंद्रीय बजट 2024-25 की एक प्रति लेकर राष्ट्रपति भवन के लिए रवाना हुईं। दरअसल, बजट पेश करने से पहले, वित्त मंत्री सीतारमण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन गईं।
राष्ट्रपति ने केंद्रीय वित्त मंत्री को दीं शुभकामनाएं
इस संबंध में राष्ट्रपति के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट कर जानकारी दी गई। इस पोस्ट में लिखा कि ”केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ केंद्रीय बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने केंद्रीय वित्त मंत्री को शुभकामनाएं दीं।
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वित्त मंत्री ‘बही खता’ डिजिटल टैबलेट के साथ आईं नजर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देंगी सातवां बजट भाषण
बताना चाहेंगे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में केंद्रीय बजट 2024 पेश करने वाली हैं। इसी के साथ यह उनका लगातार सातवां बजट भाषण होगा। वहीं यह दिवंगत मोरारजी देसाई के लगातार छह बजटों के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ देगा। इस बजट में आयकर ढांचे में बदलाव और भारत में व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना है।
इस बजट से देश के मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा उम्मीदें
इस बजट से देश के मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। ऐसे संकेत हैं कि वित्त मंत्री सीतारमण सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए कदमों की घोषणा कर सकती हैं।
तीसरी मोदी सरकार का पहला केंद्रीय बजट
मीडिया से बात करते हुए, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पहले कहा कि तीसरी मोदी सरकार का पहला केंद्रीय बजट “सबका साथ सबका विकास” के उनके मंत्र पर आधारित होगा।
बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण में कही गई ये मूल बातें
संसद का बजट सत्र 22 जुलाई को शुरू हुआ और तय कार्यक्रम के अनुसार 12 अगस्त को समाप्त होगा। ज्ञात हो, सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि मध्यम अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है, ” अगर हम पिछले दशक में किए गए संरचनात्मक सुधारों पर काम करते हैं, तो मध्यम अवधि में, भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर आधार पर 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच त्रिपक्षीय समझौते की आवश्यकता है।”
सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि भारत भू-आर्थिक विखंडन, आत्मनिर्भरता के लिए जोर, जलवायु परिवर्तन, प्रौद्योगिकी का उदय और सीमित नीति स्थान जैसे वैश्विक रुझानों के बीच अवसरों और चुनौतियों का एक अनूठा मिश्रण का सामना कर रहा है।
इसने सुझाव दिया कि सरकार का ध्यान नीचे से ऊपर की ओर सुधारों और शासन को मजबूत करने पर केंद्रित होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पिछले दशक के संरचनात्मक सुधारों का परिणाम मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास हो।
सर्वेक्षण के अनुसार, मध्यम अवधि के लिए विकास रणनीति, जिसे “अमृत काल” कहा जाता है, छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर निर्भर करती है। सबसे पहले, निजी निवेश को बढ़ावा देने पर जानबूझकर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। दूसरा, भारत के एमएसएमई (मिटेलस्टैंड) का विकास और विस्तार एक रणनीतिक प्राथमिकता होनी चाहिए।
तीसरा, भविष्य के विकास के इंजन के रूप में कृषि की क्षमता को पहचाना जाना चाहिए, नीतिगत बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए। चौथा, भारत के हरित संक्रमण के वित्तपोषण को सुरक्षित करना आवश्यक है। पांचवां, शिक्षा-रोजगार अंतर को पाटना आवश्यक है। अंत में, भारत की प्रगति को बनाए रखने और तेज करने के लिए राज्य की क्षमता और योग्यता का केंद्रित निर्माण आवश्यक है।
बजट की पूर्व संध्या पर पीएम मोदी ने कहा- “यह अमृत काल का महत्वपूर्ण बजट”
वहीं, बजट की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यह अमृत काल का महत्वपूर्ण बजट है। हमारे पास जो पांच साल हैं, यह बजट उस यात्रा की दिशा तय करेगा। साथ ही 2047 में विकसित भारत के सपने को पूरा करने की नींव रखेगा। (इनपुट-एएनआई)