केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मेडिकल ऑक्सीजन प्रबंधन को लेकर राष्ट्रीय दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह दिशानिर्देश मंगलवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में आयोजित एक कार्यशाला के दौरान पेश किए गए। इसी कार्यक्रम में राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम की भी शुरुआत हुई, जिसका संचालन एम्स अस्पताल का प्रशासन विभाग करेगा।
स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन की सही देखभाल और उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने महामारी जैसे आपातकालीन हालात में ऑक्सीजन की मांग को तुरंत पूरा करने के लिए उचित तैयारी की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान जो अनुभव हासिल किए हैं, उन्हें भविष्य की तैयारी में शामिल करना जरूरी है।
एम्स के निदेशक प्रो. एम श्रीनिवास ने बताया कि एम्स इस कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में सभी स्तरों पर मेडिकल स्टाफ को ऑक्सीजन प्रबंधन का प्रशिक्षण देना बेहद जरूरी है। इन नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य देश में मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता और प्रबंधन को मजबूत बनाना है। इसमें ऑक्सीजन की खरीद, भंडारण और उपयोग को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित हो, ऑक्सीजन की बर्बादी कम हो और आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके।
ऑक्सीजन के रख-रखाव के लिए 200 मास्टर ट्रेनर्स को किया जाएगा प्रशिक्षित
वहीं राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम स्वास्थ्य मंत्रालय की आपदा प्रबंधन यूनिट और एम्स के सहयोग से चलाया जाएगा। इसके तहत देशभर में 200 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जाएगा। ये मास्टर ट्रेनर्स अस्पताल प्रशासकों और चिकित्सा अधिकारियों को मेडिकल ऑक्सीजन के सही प्रबंधन का प्रशिक्षण देंगे, जिससे ऑक्सीजन की बर्बादी कम होगी और मरीजों के इलाज में सुधार होगा। इस कार्यशाला में स्वास्थ्य मंत्रालय, एम्स और देशभर के चिकित्सा विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।