केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने सोमवार को असम के गुवाहाटी में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 50 करोड़ रुपये की लागत वाली 50 प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन किया। यह परियोजना अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को छोड़कर पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों को कवर करती है। इसके अलावा केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री ने सिक्किम में देश के पहले ‘जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर’ का शुभारंभ किया। मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो लगभग 3 करोड़ मछुआरों और मछली किसानों को आजीविका प्रदान करता है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य उत्तर पूर्वी राज्यों में रोजगार के अवसर पैदा करना है। साथ ही, मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे और उत्पादकता को बढ़ाना है।
देश का पहला ‘जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर
राजीव रंजन सिंह ने कल असम के गुवाहाटी, में पूर्वोत्तर क्षेत्र राज्य सम्मेलन-2025 में पीएमएमएसवाई के तहत सिक्किम राज्य में जैविक मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास के लिए सिक्किम के सोरेंग जिले में जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर को अधिसूचित और लॉन्च किया। यह भारत में अपनी तरह का पहला है, जो राज्य में मत्स्य पालन के सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
केंद्रीय मत्स्य मंत्रालय के अनुसार, सोरेंग जिले में जैविक मछली क्लस्टर किसानों की आय बढ़ाने और जलीय कृषि में स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य दुनिया भर के पर्यावरण के प्रति जागरूक बाजारों में एंटीबायोटिक, रसायन और कीटनाशक मुक्त जैविक मछली बेचना है। सिक्किम सरकार ने पहले ही जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) को अपना लिया है, जिससे सस्टेनेबल और पर्यावरण के अनुकूल एग्रीकल्चर प्रैक्टिस के लिए एक मजबूत प्रतिष्ठा बनाने में मदद मिली है। जैविक मत्स्य पालन और जलीय कृषि की शुरुआत करना सभी क्षेत्रों में जैविक, सस्टेनेबल और पर्यावरण के अनुकूल प्रैक्टिस को बढ़ावा देने के राज्य के दृष्टिकोण के साथ जुड़ा होगा।
मत्स्य विभाग ने क्षेत्रीय और स्थान विशेष की जरूरतों के अनुसार मोती, समुद्री शैवाल, सजावटी मत्स्य पालन, जलाशय मत्स्य पालन, मछली पकड़ने के बंदरगाह, खारे पानी के जलीय कृषि, ठंडे पानी के मत्स्य पालन, समुद्री पिंजरा संस्कृति, मीठे पानी के जलीय कृषि, खारे पानी के मत्स्य पालन, द्वीप मत्स्य पालन क्लस्टर, जैविक मत्स्य पालन, वेटलैंड मत्स्य पालन और अन्य क्षेत्रों सहित प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन और प्रसंस्करण क्लस्टर के रूप में क्लस्टर आधारित विकास पर एक रणनीतिक फोकस की परिकल्पना की है।
ये क्लस्टर मत्स्य पालन और जलीय कृषि के सतत विकास के लिए मछुआरों, उद्यमों, व्यक्तियों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी), मछली किसान उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ), मछली किसानों, प्रोसेसर, ट्रांसपोर्टरों, खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, उपभोक्ताओं, सहकारी समितियों, मत्स्य पालन स्टार्ट-अप और अन्य संस्थाओं सहित मछली विक्रेताओं जैसे विभिन्न मूल्य श्रृंखला हितधारकों को शामिल करेंगे।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में मत्स्य पालन पर ध्यान
दरअसल पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) मत्स्य पालन और जलीय कृषि में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में सबसे आगे है, जो समावेशी विकास के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अपने प्रचुर मीठे पानी के संसाधनों और असाधारण जलीय जैव विविधता के साथ, पूर्वोत्तर क्षेत्र न केवल संभावनाओं का क्षेत्र है, बल्कि प्रगति का एक गतिशील केंद्र भी है। जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में विश्व स्तर पर पहचाने जाने वाले, एनईआर आर्थिक विकास और आजीविका वृद्धि के लिए भारत की रणनीति का आधार बन गया है।
पूर्वोत्तर में अंतर्देशीय मछली उत्पादन 2014-15 में 4.03 लाख टन से बढ़कर 2023-24 में 6.41 लाख टन
गौरतलब हो केंद्र सरकार ने नीली क्रांति योजना (Blue Revolution Scheme), मत्स्य पालन और जलीय कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कोष (FIDF) और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से मत्स्य पालन के लिए 2,114 करोड़ रुपये के कुल निवेश को मंजूरी दी है। इन पहलों ने इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी मजबूत किया है, उत्पादकता में सुधार किया है और टिकाऊ प्रणालियों को मजबूत किया है। इसके परिणामस्वरूप, पूर्वोत्तर में अंतर्देशीय मछली उत्पादन 2014-15 में 4.03 लाख टन से बढ़कर 2023-24 में 6.41 लाख टन हो गया है, जिससे 5 प्रतिशत की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि दर हासिल हुई है ।