देश में डिजिटल भुगतान में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) है जिसने दिसंबर 2024 में यूपीआई ने 16.73 बिलियन लेनदेन का नया रिकॉर्ड बनाया जिसका कुल मूल्य 23.25 लाख करोड़ रुपये रहा। नवंबर 2024 के 21.55 लाख करोड़ रुपये की तुलना में यह एक बड़ा उछाल है। पूरे साल यूपीआई ने 172 बिलियन लेनदेन किए जो 2023 के 117.64 बिलियन लेनदेन से 46% अधिक है।
यूपीआई के अलावा, तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) भी डिजिटल लेनदेन का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनी हुई है। यह सेवा 2010 में शुरू हुई थी और 24×7 उपलब्ध रहती है। दिसंबर 2024 में आईएमपीएस के जरिए 441 मिलियन लेनदेन हुए जिनका कुल मूल्य 6.01 लाख करोड़ रुपये था। यह नवंबर 2024 के 407.92 मिलियन लेनदेन और 5.58 लाख करोड़ रुपये के मूल्य से अधिक है।
एनईटीसी फास्टैग भी डिजिटल भुगतान का एक अहम हिस्सा बन गया है। यह राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता को समाप्त करता है। दिसंबर 2024 में फास्टैग के माध्यम से 381.98 मिलियन लेनदेन हुए जिनका कुल मूल्य 6,642 करोड़ रुपये था। यह नवंबर 2024 के 358.84 मिलियन लेनदेन और 6,070 करोड़ रुपये के मूल्य से अधिक है।
यूपीआई, आईएमपीएस और फास्टैग जैसी डिजिटल भुगतान सेवाओं ने लेनदेन को आसान, तेज और सुरक्षित बना दिया है। इन तकनीकों के बढ़ते उपयोग से यह स्पष्ट है कि भारत कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रहा है।