प्रतिक्रिया | Friday, April 18, 2025

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को उन व्यापारिक साझेदार देशों के लिए पारस्परिक शुल्क में 90 दिनों के लिए 10 प्रतिशत की कम दर की घोषणा की, जिन्होंने अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च शुल्क के साथ जवाबी कार्रवाई नहीं की है, जिसमें भारत शामिल हैं जबकि जवाबी कार्रवाई करने पर चीन पर शुल्क को बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया।

दरअसल, भारत ने ट्रम्प द्वारा लगाए गए 26 प्रतिशत टैरिफ का जवाब नहीं दिया है तथा लगभग 70 अन्य देशों की तरह उसने भी ट्रम्प प्रशासन के साथ बातचीत की है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सोमवार को द्विपक्षीय व्यापार समझौते को शीघ्र पूरा करने पर चर्चा की।

वहीं, चीन पर यह रोक और अतिरिक्त शुल्क तब लगाया गया जब बीजिंग ने ट्रंप द्वारा दूसरे दौर की अतिरिक्त 50 प्रतिशत वृद्धि का जवाब दिया-पहले घोषित 34 प्रतिशत से अधिक, जिससे कुल टैरिफ 104 प्रतिशत हो गया था। चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका से आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर 84 प्रतिशत कर दिया।

इस धमकी की आलोचना करते हुए विश्व व्यापार संगठन के पूर्व महानिदेशक पास्कल लेमी ने इसे “माफिया जैसा व्यवहार” बताया है। यह कदम अमेरिका की सख्त और एकतरफा मांगों को दिखाता है, लेकिन चीन ने जवाब दिया कि अगर अमेरिका ऐसा करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। चीनी विशेषज्ञ ली हाईतोंग के मुताबिक, अमेरिका के इस कदम के पीछे दो मकसद हैं। पहला, अगले साल के मध्यावधि चुनावों के लिए राजनीतिक फायदा लेना और दूसरा, लंबे समय तक व्यापार युद्ध के जरिए चीन को कमजोर करना, वैश्वीकरण को रोकना और अपनी सत्ता को मजबूत करना। लेकिन, वैश्वीकरण का समर्थन करने वाला चीन इन दबावों के आगे आसानी से नहीं झुकेगा।

राष्ट्रपति ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “चीन ने विश्व के बाजारों के प्रति जो अनादर दिखाया है, उसके आधार पर मैं संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए जाने वाले टैरिफ को तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर रहा हूं।”

ट्रम्प ने आगे कहा कि इसके विपरीत, और इस तथ्य के आधार पर कि 75 से अधिक देशों ने वाणिज्य, वित्त और यूएसटीआर विभागों सहित संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधियों को व्यापार, व्यापार बाधाओं, शुल्कों, मुद्रा हेरफेर और गैर-मौद्रिक शुल्कों से संबंधित विषयों पर समाधान के लिए बातचीत करने के लिए बुलाया है, इन देशों ने, मेरे मजबूत सुझाव पर संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ किसी भी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं की है, मैंने 90-दिवसीय विराम को अधिकृत किया है और इस अवधि के दौरान काफी कम पारस्परिक शुल्क, 10 प्रतिशत भी तुरंत प्रभावी है।

हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि क्या इन देशों से आने वाले सामानों पर 90 दिनों की इस विराम अवधि के दौरान 10 प्रतिशत की कम दर से टैरिफ लगाया जाएगा या उन पर राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा मूल रूप से घोषित दर नहीं लगाई जाएगी।

वहीं दूसरी ओर पारस्परिक दरें लागू होने के बाद से अमेरिकी बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है और बिल एकमैन जैसे वॉल स्ट्रीट के कुछ प्रमुख प्रभावशाली लोगों ने 90 दिनों के विराम की मांग की है। ट्रम्प को टैरिफ के मुद्दे पर अपने प्रमुख सलाहकार एलन मस्क की ओर से भी कुछ विरोध का सामना करना पड़ा है, जिन्होंने इसकी आलोचना की है तथा राष्ट्रपति के प्रमुख व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के साथ सार्वजनिक रूप से बहस भी की है। (इनपुट-आईएएनएस)

 

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आखरी अपडेट: 18th Apr 2025