उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज शुक्रवार को तमिलनाडु के उदगमंडलम स्थित राजभवन में राज्य, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली बताते हुए इसे राष्ट्र के लिए आवश्यक नीति बताया। उन्होंने कहा कि यह नीति भारतीय सभ्यता की भावना से मेल खाती है, भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता देती है, बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देती है और शिक्षा को केवल रोजगार तक सीमित न रखते हुए समग्र व्यक्तित्व के विकास का माध्यम मानती है। धनखड़ ने कहा कि NEP का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि यह छात्रों को मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा देता है और औपनिवेशिक सोच से बाहर लाता है।
धनखड़ ने यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के बहुत से लोग अभी इस नीति से पूरी तरह परिचित नहीं हैं, इसलिए उन्होंने उन्हें इसकी गहराई से अध्ययन करने की सलाह दी ताकि नीति के उद्देश्यों को सही तरह समझा और लागू किया जा सके। उन्होंने कहा, “NEP एक सरकारी नीति नहीं बल्कि राष्ट्र की नीति है और इसलिए इसे समझना, अपनाना और लागू करना सभी का कर्तव्य है।”
उपराष्ट्रपति ने भारत की भाषाओं को देश की विरासत और गौरव बताते हुए कहा कि “संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, हिंदी, बंगाली जैसी भाषाएं साहित्य और ज्ञान का खजाना हैं, जिन्हें दुनिया में कहीं और नहीं पाया जा सकता।” उन्होंने शिक्षा को राष्ट्र के उत्थान का माध्यम और सामाजिक समता लाने वाला बड़ा कारक बताया। इस अवसर पर उन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की भी सराहना की और कहा कि उन्होंने 2021 में इस सम्मेलन की शुरुआत कर एक दूरदर्शी कदम उठाया था, जो अब अपने चौथे संस्करण में पहुंच गया है।
धनखड़ ने कहा कि “शिक्षा की पहुंच, इसकी किफायती उपलब्धता और गुणवत्ता-ये तीनों राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें अपने ऐतिहासिक विरासत, विशेषकर गुरुकुल परंपरा, जिसमें ज्ञान प्राप्ति के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी, को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रणाली को मजबूती देनी होगी।” सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क का कार्यान्वयन, विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक सहयोग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से सीखने के परिणामों को अधिकतम करना, शैक्षणिक संस्थानों में वित्तीय प्रबंधन, अनुसंधान में उत्कृष्टता, उद्यमिता को बढ़ावा, छात्रों की क्षमता निर्माण, बौद्धिक संपदा के माध्यम से संपत्ति निर्माण और दिव्यांगजनों के पुनर्वास में करियर निर्माण जैसे विषयों पर गहन चर्चा करना है।