शुक्रवार का दिन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। केदारनाथ से लेकर केरल तक उम्मीद की नई किरण के साथ दिन की शुरूआत हुई। उत्तराखंड में केदारनाथ धाम के कपाट खुले तो केरल में विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट के रूप में भारत की समुद्री शक्ति, आर्थिक प्रगति और वैश्विक कनेक्टिविटी का नया एंट्री गेट खुल गया। भारत के विकास का नया गेटवे विझिंजम पोर्ट केवल माल की आवाजाही का केंद्र नहीं रहेगा, यह भारत की सुरक्षा और रणनीति का भी अहम हिस्सा बनेगा। विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट भारत के समुद्री शक्ति बनने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह बंदरगाह आने वाले वर्षों में भारत के समुद्री महाशक्ति के तौर पर उभरने का उद्घोष है।
स्थान और विशेषता: एक प्राकृतिक वरदान
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम, केरल में भारत के पहले गहरे समुद्र वाले ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट का उद्घाटन किया। यह बंदरगाह भारत को वैश्विक शिपिंग मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है क्यों है उसके पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ी विशेषता तो इसके स्थान की ही है, विझिंजम बंदरगाह समुद्र के उस हिस्से में स्थित है जहां प्राकृतिक गहराई 24 मीटर तक है, जो विश्व के सबसे बड़े कंटेनर जहाज़ों को सहजता से समायोजित कर सकती है। यह बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय ईस्ट-वेस्ट शिपिंग रूट से केवल 10 नॉटिकल मील दूर है — एक ऐसा रणनीतिक स्थान जो इसे विश्व के व्यस्ततम बंदरगाहों की सूची में शामिल कर सकता है।
समुद्री निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर
वर्तमान में भारत अपने लगभग 75% कंटेनर व्यापार के लिए श्रीलंका, सिंगापुर और दुबई जैसे विदेशी बंदरगाहों के माध्यम से ट्रांसशिप करता है। इससे हर साल भारत को करोड़ों डॉलर का खर्च उठाना पड़ता है। विजिंजम अब इस निर्भरता को समाप्त करने की ओर एक मजबूत कदम है, जिससे भारत का समुद्री प्रभुत्व और आर्थिक संप्रभुता दोनों सशक्त होंगे। एक अनुमान के मुकाबिक विझिंजम पोर्ट की शुरूआत के साथ ही भारत को लगभग 220 मिलियन डॉलर की सालाना बचत होगी।
बंदरगाह से बंधे सपनों की रफ्तार
भारत ने एक बार साबित कर दिया है कि वह सिर्फ सपने देखने वाला, कहानी लिखने वाला देश नहीं है बल्कि आज का भारत सपनों को साकार करने वाला देश है। यह परियोजना नए भारत के सपनों को रफ्तार देने का काम करेगा क्योंकि विझिंजम पोर्ट केवल एक बंदरगाह नहीं है, बल्कि एक लॉजिस्टिक और औद्योगिक क्रांति की शुरुआत है। पहले चरण में यह बंदरगाह 1 मिलियन TEU (ट्वेंटी फ़ुट इक्विवेलेंट यूनिट) तक माल हैंडल कर सकता है, और आने वाले वर्षों में इसकी क्षमता 7.2 मिलियन TEU तक पहुँचेगी। इससे न केवल भारत की निर्यात क्षमता बढ़ेगी, बल्कि लॉजिस्टिक लागत में भी बड़ी कटौती होगी।
रोज़गार और स्थानीय विकास
किसी भी देश के विकास और विजन का असल पैमाना इस बात से तय होता है कि आज के फैसले आने वाले समय में लोगों की जिंदगी में कैसा बदलाव ला सकते हैं। विझिंजम सीपोर्ट इस लिहाज से मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। क्योंकि इस परियोजना से लगभग 4,500 प्रत्यक्ष नौकरियां और 20,000 से अधिक अप्रत्यक्ष अवसर पैदा होंगे। इसके इर्द-गिर्द लॉजिस्टिक हब, गोदाम, औद्योगिक इकाइयां और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) विकसित होंगे, जिससे केरल और दक्षिण भारत में व्यापक आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
भविष्य की तैयारी
यह बंदरगाह बीते दशक के दूरगामी विजन का रिजल्ट है तो आने वाले दशकों में दुनिया के लिए तकनीक और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने का बेहतरीन उदाहरण साबित होगा। बंदरगाह को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया गया है जैसे कि AI-आधारित ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, सेमी-ऑटोमेटेड कंटेनर हैंडलिंग, और पर्यावरण-संवेदनशील ब्रेकवाटर तकनीक। यानी इसे विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन का आदर्श उदाहरण कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
रक्षा और कूटनीति का नया केंद्र
विझिंजम बंदरगाह केवल व्यापारिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामरिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम है। इसकी स्थिति भारत को मालदीव, श्रीलंका और अंडमान-निकोबार क्षेत्रों में तेजी से प्रतिक्रिया देने में मदद करेगी, जिससे भारतीय नौसेना की पहुंच और उपस्थिति सुदृढ़ होगी।
‘भारत अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, निर्माता भी’
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस पोर्ट के उद्घाटन के दौरान बड़ा संदेश दिया। उन्होंने साफ कहा, ‘विझिंजम केवल एक बंदरगाह नहीं है, यह भारत की नई सोच, आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की आकांक्षा का प्रतीक है।’ उन्होंने इसे विकसित भारत @ 2047 अभियान की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया, जो भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में उभारने की नींव रखता है।
बंदरगाह से भविष्य का सफर
कुल मिलाकर विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट भारत की समुद्री शक्ति, आर्थिक प्रगति, और वैश्विक कनेक्टिविटी का प्रवेश द्वार है। यह केवल एक संरचना नहीं, बल्कि भारत की महत्वाकांक्षा, रणनीति और नवाचार का सजीव प्रमाण है। आने वाले वर्षों में यह बंदरगाह भारत के समुद्री नक्शे को बदलने वाला साबित होगा।
(लेखक के पास मीडिया जगत में लगभग डेढ़ दशक का अनुभव है, वे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में काम कर चुके हैं)