केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। आज मंगलवार को भारत के राजपत्र (गजट) में अधिसूचना जारी कर इसकी पुष्टि की गई। गौरतलब है कि यह अधिनियम गत रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी मिलने के बाद कानून बना।
गजट अधिसूचना में कहा गया है, “वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की धारा 1 की उपधारा (2) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 8 अप्रैल 2025 को अधिनियम लागू होने की तारीख घोषित करती है।” इस अधिनियम में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इसमें वक्फ संस्थाओं से ट्रस्टों को अलग करना, संपत्ति प्रबंधन में डिजिटल तकनीकों का उपयोग, एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल की स्थापना, और वक्फ संपत्तियों को केवल मुस्लिम समुदाय के प्रैक्टिसिंग (धार्मिक रूप से सक्रिय) सदस्यों के लिए ही समर्पित करने की शर्त शामिल है।
इसके अलावा, यह कानून ‘वक्फ बाय यूजर’ यानी जिन संपत्तियों का लंबे समय से सामुदायिक उपयोग हो रहा है, उनके संरक्षण का प्रावधान भी करता है। साथ ही, पारिवारिक वक्फ व्यवस्था में महिलाओं के अधिकारों को भी मान्यता दी गई है। यह विधेयक पहले लोकसभा में पारित हुआ और फिर 4 अप्रैल की सुबह राज्यसभा में 17 घंटे की लंबी बहस के बाद मंजूरी मिली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कानून को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार की दिशा में “ऐतिहासिक कदम” बताया है। सरकार का कहना है कि इस संशोधन से वक्फ बोर्डों में सभी मुस्लिम समुदायों की समान भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी और संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता लाई जाएगी।
हालांकि,कानून बनने के तुरंत बाद, इसके खिलाफ कई जनहित याचिकाएं (PIL) सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। संभावित कानूनी चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक ‘केविएट’ (Caveat) भी दाखिल किया है ताकि कोर्ट कोई आदेश पारित करने से पहले सरकार का पक्ष भी सुने।