प्रतिक्रिया | Friday, September 20, 2024

वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश, किरेन रिजिजू ने कहा- बिल में किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में नहीं किया गया हस्तक्षेप

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार (8 अगस्त) लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। विधेयक का उद्देश्य राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमण हटाने से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करना है। डीएमके, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने इस बिल को संघीय व्यवस्था और संविधान पर हमला बताया, जबकि भाजपा और उसके सहयोगियों ने इस कदम का बचाव किया। जेडीयू और टीडीपी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि ये बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन के लिए बिल पेश जाने के बाद चर्चा का जवाब देते हुए किरेन रिजिजू कहा कि बिल में किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया गया है।

अखिलेश यादव ने बिल का किया विरोध

आज लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने बिल का विरोध करते हुए कहा,” ये बिल बहुत सोची समझी राजनीति के लिए तैयार हो रहा है। अध्यक्ष महोदय, ‘मैंने लॉबी में सुना है कि आपके कुछ अधिकार भी छीने जा रहे हैं और हमें आपके लिए लड़ना होगा। मैं इस बिल का विरोध करता हूं।’ अखिलेश के बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपत्ति जताई। अमित शाह ने कहा कि अखिलेश जी, इस तरह की गोलमोल बात आप नहीं कर सकते। आप स्पीकर के अधिकार के संरक्षक नहीं हो।

असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुसलमानों पर हमला बताया

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुसलमानों पर हमला बताया, असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। यह विधेयक भेदभावपूर्ण और मनमाना दोनों है। इस विधेयक को लाकर आप (केंद्र सरकार) देश को जोड़ने का नहीं बल्कि बांटने का काम कर रहे हैं। यह विधेयक इस बात का सबूत है कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं।” जबकि जेडीयू समेत एनडीए के सहयोगियों ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य पारदर्शिता लाना है। वहीं, बिल का विरोध करते हुए लोकसभा में एनसीपी- एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “मैं सरकार से अनुरोध करती हूं कि या तो इस विधेयक को पूरी तरह से वापस ले या इसे स्थायी समिति को भेज दें।”

यह संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ

कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करते हुए कहा, “यह विधेयक संविधान पर एक मौलिक हमला है। इस विधेयक के माध्यम से वे यह प्रावधान कर रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे।” उन्होंने इसे यह धर्म की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया। बिल पर आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने लोकसभा में कहा कि सरकार वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद को पूरी तरह से कमजोर कर रही है। आप व्यवस्था को खत्म कर रहे हैं। यह संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है।

यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए, जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “आज जो विधेयक लाया जा रहा है वह सच्चर समिति की रिपोर्ट (जिसमें सुधार की बात कही गई थी) पर आधारित है, जिसे आपने (कांग्रेस ने) बनाया था।” केंद्रीय मंत्री ने बिल पर विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइए, यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले।

बिल पर विपक्ष की सभी आशंकाएं दूर की जाएंगी

इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि बिल पर विपक्ष की सभी आशंकाएं दूर की जाएंगी। वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन बिल पास होने के बाद वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपना नहीं बता सकेगा। अभी वक्फ के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति है। जमीन पर दावे से पहले उसका वेरिफिकेशन करना होगा। किरेन रिजिजू ने कहा कि बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी।

बिल में मुस्लिम समाज के सभी वर्गों की भागीदारी का इंतज़ाम

वहीं दूसरी ओर वक्फ संशोधन विधेयक पर भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस पर राजनीति की जा रही है। बातचीत चल रही है। विपक्ष हर चीज का विरोध करता रहेगा।। विधेयक पर दिल्ली हज कमिटी की अध्यक्ष कौसर जहां ने कहा कि वक्फ बोर्ड के अधिनियम में संशोधन एक पारदर्शी, जवाबदेही और समान प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के साथ एक प्रभावी कानून बनाने की ओर बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है, इस संशोधन के तहत मुस्लिम समाज के सभी वर्गों की भागीदारी का इंतज़ाम किया गया है। 21वीं सदी की जो सबसे महत्वपूर्ण मांग है, महिलाओं के समावेश की बात की गई है, तो विपक्ष को इसमें क्या समस्या है।

(Input from news agencies)

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आखरी अपडेट: 20th Sep 2024