देश के कई हिस्सों में मौसम में नरमी देखी जा रही है। आसमान में बादल और हवाओं ने लोगों को गर्मी से राहत दी है। इस बीच मौसम विभाग ने पूर्वोत्तर भारत में 21 अप्रैल तक आंधी और गरज के साथ मध्यम वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया है। मौसम विभाग ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय के कुछ भागों में अगले छह दिन तक यह स्थिति बनी रहेगी।
उत्तर से दक्षिण मौसम ने ली करवट
वहीं उत्तर भारत में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ भागों में इस महीने की 18 से 21 तारीख तक चालीस किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति से तेज हवाएं चल सकती हैं। हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में अगले दो दिनों तक चालीस किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।
दक्षिण के राज्यों में केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और लक्षद्वीप में 18 से 21 तारीख तक गरज और बिजली कड़कने के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। इस बीच मौसम विभाग ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ क्षेत्रों में अगले तीन दिनों तक भीषण गर्मी की आशंका व्यक्त की है। साथ ही पश्चिम बंगाल, ओडिशा, गोवा, गुजरात और कर्नाटक में आज और कल तथा तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और आंध्र प्रदेश में अगले चार दिनों तक मौसम गर्म और उमस वाला रहेगा।
सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान
वहीं इससे पहले मौसम विभाग ने इस बार मानसून को लेकर पूर्वानुमान जारी किया है। भारत में ला नीना प्रभाव के कारण इस बार मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है। हालांकि वर्षा वितरण और काल अवधि में अंतर के चलते कुछ स्थानों पर ज्यादा और कम वर्षा हो सकती है। इसके साथ ही मौसम विभाग ने कहा कि जून से सितंबर 2024 में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।
बारिश 106 प्रतिशत होने का अनुमान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि भारत में चार महीने के मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है और संचयी बारिश लंबी अवधि के औसत (87 सेमी) की 106 प्रतिशत होने का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि इस समय मध्यम अल नीनो की स्थिति बनी हुई है। अनुमान है कि मानसून का मौसम शुरू होने तक यह लगभग सामान्य हो जाएगी। इसके बाद ला नीना की स्थिति अगस्त-सितंबर तक बनने लगेगी।
ला नीना और अल नीनो क्या है
ला नीना समुद्री धाराओं के प्रभाव से समुद्र के तापमान में कमी दर्शाता है। अल नीनो यानी समुद्र के तापमान में वृद्धि की स्थिति से ला नीना की स्थिति में आने से अक्सर अधिक वर्षा होती है। भारत में वर्ष दर वर्ष सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है। हालांकि वर्षा का वितरण और काल अवधि घटने के कारण कुछ स्थानों पर थोड़े समय के लिए अधिक वर्षा देखी जाती है। इससे बाढ़ और सूखे जैसे हालात पैदा होते हैं।
बता दें कि भारत में लगभग 70 प्रतिशत वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के चलते होती है। यह वर्षा कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है।