प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के साथ बातचीत की। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। दिसानायके ने अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौरान भारत के ‘अत्यधिक समर्थन'” के लिए आभार जताया और कहा कि श्रीलंकाई जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होगा।
भारत के साथ सहयोग निश्चित रूप से बढ़ेगा
श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने बातचीत के बाद कहा, “मैंने भारत के प्रधानमंत्री को यह आश्वासन दिया है कि हम अपनी जमीन को किसी भी तरह से भारत के हितों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगे। भारत के साथ सहयोग निश्चित रूप से बढ़ेगा और मैं भारत के लिए अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन देना चाहता हूं।”
दिसानायके ने समर्थन और आतिथ्य के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और पीएम मोदी का जताया आभार
पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर रविवार शाम को भारत पहुंचे दिसानायके ने समर्थन और गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया उनकी यात्रा ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच सहयोग और विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि हमारे सुरक्षा हित आपस में जुड़े हुए हैं। हमने रक्षा सहयोग समझौते को जल्द ही अंतिम रूप देने का फैसला किया है।”
श्रीलंका के 1500 सिविल सेवकों को भारत में दिया जाएगा प्रशिक्षण
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने श्रीलंका के विकास में भारत के मजबूत समर्थन पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत ने अब तक श्रीलंका को 5 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता और अनुदान सहायता प्रदान की है। श्रीलंका के सभी 25 जिलों में हमारा सहयोग है और हमारी परियोजनाओं का चयन हमेशा साझेदार देशों की विकास प्राथमिकताओं के आधार पर होता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अगले वर्ष से जाफना और पूर्वी प्रांत के विश्वविद्यालयों में 200 छात्रों को मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी। अगले पांच वर्षों में श्रीलंका के 1500 सिविल सेवकों को भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा।”
–आईएएनएस