भारत का मत्स्य पालन विभाग आज (21 नवंबर) को विश्व मत्स्य पालन दिवस (डब्ल्यूएफडी) मना रहा है। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में विश्व मत्स्य पालन दिवस समारोह का उद्घाटन करने जा रहे हैं। इस वर्ष का थीम है भारत का नीला परिवर्तन, लघु-स्तरीय और टिकाऊ मत्स्य पालन को मजबूत करना। डब्ल्यूएफडी सभी मत्स्य क्षेत्र के स्टेकहोल्डरों को विचारों के अभिसरण और साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। समुद्री प्लास्टिक कूड़े से निपटने के लिए आईएमओ-एफ़एओ ग्लोलिटर पार्टनरशिप प्रोजेक्ट और ऊर्जा-कुशल, कम लागत वाले समुद्री मछली पकड़ने के ईंधन को बढ़ावा देने के लिए रेट्रोफिटेड एलपीजी किट के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी इस अवसर पर लॉन्च की जाएगी। समारोह क्षेत्र में अनुसंधान और विकास और सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार-विमर्श की सुविधा प्रदान करेगा, जलीय कृषि और समुद्री खाद्य उद्योग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देगा और मत्स्य क्षेत्र में प्रमुख उपलब्धियों और अप्रयुक्त क्षमता के बारे में जागरूकता भी पैदा करेगा।
विश्व मत्स्य पालन दिवस की शुरुआत 21 नवंबर को 2014 से
आपको बता दें कि मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र विकास में मछुआरों, मछली किसानों की भूमिका और योगदान को मान्यता देने और दुनिया भर में सभी हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए, मत्स्य पालन विभाग ने 21 नवंबर को 2014 से विश्व मत्स्य पालन दिवस के रूप में मनाना शुरू किया था ।
केंद्र सरकार ने मत्स्य पालन क्षेत्र में कुल 38,572 करोड़ रुपये का किया निवेश
मत्स्य पालन और जलीय कृषि, वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा का अभिन्न अंग हैं, जो दुनिया भर में लगभग 61.8 मिलियन लोगों की आजीविका में सहयोग करता है। 2015 से भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों जैसे नीली क्रांति योजना, मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र में कुल 38,572 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण निवेश किया है।
आदिवासी समुदायों को मिला अत्यधिक लाभ
मत्स्य विभाग के नेतृत्व में इन प्रयासों ने क्षेत्रीय विकास को गति दी है, आजीविका को उन्नत किया है और हाशिए पर पड़े तथा आदिवासी समुदायों को अत्यधिक लाभ पहुंचाया है। परिणामस्वरूप, देश में मछली उत्पादन 2013-14 में 95.79 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 175.45 लाख टन हो गया है। इस क्षेत्र में 9% की वार्षिक दर से वृद्धि हुई है, इस प्रकार कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उच्चतम वृद्धि दर दर्ज की गई है।
उद्घाटन सत्र में स्थायी मत्स्य पालन और जलीय कृषि की प्रमुख पहलों का होगा शुभारंभ
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि गुरुवार को विश्व मत्स्य दिवस 2024 के उद्घाटन सत्र में स्थायी मत्स्य पालन और जलीय कृषि को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से प्रमुख पहलों का शुभारंभ किया जाएगा। इनमें डेटा-संचालित नीति निर्माण के लिए 5वीं समुद्री मत्स्य जनगणना का शुभारंभ, स्थायी शार्क प्रबंधन के लिए शार्क पर राष्ट्रीय कार्य योजना का शुभारंभ और अवैध, अनियमित और अप्रतिबंधित मछली पकड़ने को रोकने के लिए आईयूयू मछली पकड़ने पर बंगाल की खाड़ी-क्षेत्रीय कार्य योजना शामिल हैं।
रेट्रोफिटेड एलपीजी किट के लिए एसओपी भी इस अवसर पर लॉन्च की जाएगी
इसके अलावा समुद्री प्लास्टिक कूड़े से निपटने के लिए आईएमओ-एफ़एओ ग्लोलिटर पार्टनरशिप प्रोजेक्ट और ऊर्जा-कुशल, कम लागत वाले समुद्री मछली पकड़ने के ईंधन को बढ़ावा देने के लिए रेट्रोफिटेड एलपीजी किट के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी इस अवसर पर लॉन्च की जाएगी। इसके अतिरिक्त, तटीय जलीय कृषि प्राधिकरण द्वारा नई सिंगल विंडो सिस्टम डब्ल्यूएफडी 2024 पर लॉन्च की जा रही है जो तटीय जलीय कृषि फार्मों के ऑनलाइन पंजीकरण को संभव बनाएगी।
इस कार्यक्रम में दो तकनीकी सत्र शामिल होंगे
आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में दो तकनीकी सत्र शामिल होंगे, जो मुख्य विषयों पर आधारित होंगे। पहला, “दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग, टिकाऊ मत्स्य पालन और जलीय कृषि के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और संरक्षण”, जिसमें छोटे पैमाने पर खेती, बेहतर आजीविका और खाद्य सुरक्षा सहित मत्स्य पालन में संधारणीय विकास के लिए द्विपक्षीय सहयोग और रणनीतियों का पता लगाया जाएगा। दूसरा तकनीकी सत्र “जलवायु परिवर्तन: मत्स्य पालन में चुनौतियाँ और आगे का रास्ता” पर होगा, जिसमें जलवायु प्रभावों, लचीलापन निर्माण और शमन रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी।
दरअसल ये सत्र भविष्य की रणनीतियों को आकार देने, कार्बन क्रेडिट, प्लास्टिक प्रबंधन और ट्रेसिबिलिटी जैसे विकास के अवसरों की खोज करने और मत्स्य पालन क्षेत्र में संधारणीय विकास प्रयासों का विस्तार करने के लिए विशेषज्ञों से मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे।
आयोजन में भाग लेने वाले लोग
इस विशाल आयोजन में केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, सरकारी अधिकारी, विभिन्न देशों के राजदूत, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि, मत्स्य समुदाय, मत्स्य शिक्षाविद और शोधकर्ता, वैश्विक मत्स्य वैज्ञानिक, मत्स्य क्षेत्र के नेता, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मत्स्य और जलीय कृषि विशेषज्ञ, अनुसंधान और विकास संस्थान, प्रौद्योगिकी निवेशक, मत्स्य और जलीय कृषि उपकरण निर्माता, निर्यात परिषद, मछुआरा संघ, वित्तीय संस्थान और निवेश बैंकर और अंतर्राष्ट्रीय मत्स्य उद्योग संगठन आदि भी भाग लेंगे।
समझौता ज्ञापन का भी आदान-प्रदान किया जाएगा
कार्यक्रम में स्वैच्छिक कार्बन बाजार के लिए एक रूपरेखा लागू करने के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का भी आदान-प्रदान किया जाएगा, जो मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में कार्बन-सीक्वेस्ट्रिंग प्रथाओं का उपयोग तेज करेगा। इस कार्यक्रम के तहत प्रगतिशील राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों और व्यक्तियों तथा उद्यमियों को भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि विकास में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा।