प्रतिक्रिया | Saturday, December 21, 2024

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प्रधानमंत्री जन-धन-योजना के दस साल पूरे, 53.13 करोड़ से भी अधिक खोले गए बैंक खाते

प्रधानमंत्री जन-धन योजना ने सफलतापूर्वक एक दशक पूरा कर लिया है। गौरतलब है कि 28 अगस्त 2014 को हाशिए पर जी रहे समुदायों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी। 28 अगस्त को इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे गरीबों को एक दुष्चक्र से मुक्ति दिलाने का एक उत्सव बताया था।

बता दें कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन यानी बड़े स्तर पर भारतीयों को बैंक से जोड़ने का कार्यक्रम है। इसकी परिवर्तनकारी ताकत और डिजिटलीकरण ने भारत में वित्तीय समावेशन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है।

इस योजना का उद्देश्य बैंकिंग सुविधाओं से वंचित सभी परिवारों को बैंकिंग सुविधा, वंचितों का वित्तपोषण करना तथा वंचित और कम सेवा वाले क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करना है। गौरतलब है कि इस योजना के अंतर्गत खाता खोलने के लिए कोई शुल्क या रखरखाव शुल्क नहीं लिया जाता है और इसके लिए खाते में न्यूनतम शेष राशि को बनाए रखने की कोई जरूरत नहीं पड़ती है।

योजना की सफलता को दर्शाते कुछ आंकड़े

इस योजना के अंतर्गत इसकी शुरुआत से 14 अगस्त 2024 तक 53.13 करोड़ से भी अधिक बैंक खाते खोले गए जिनमें 2.31 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की धनराशि जमा है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खोले गए खातों में प्रति खाता औसत जमा राशि 14 अगस्‍त 2024 के अनुसार 4,352 रुपये है। अगस्‍त 2015 अगस्त के मुकाबले प्रति खाता औसत जमा राशि में 4 गुना वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खोले गए खातों के खाताधारकों को 14 अगस्त 2024 तक 36 करोड़ से भी अधिक रूपे कार्ड जारी किए गए हैं।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रधानमंत्री जन-धन योजना

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने भी प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत प्राप्त उपलब्धियों को सराहा है। इसमें यह कहते हुए प्रमाण-पत्र जारी किया गया “वित्तीय समावेशन अभियान” के एक भाग के रूप में एक सप्ताह में जो सबसे अधिक बैंक खाते खोले गए, उसकी संख्या 18,096,130 है और भारत सरकार के वित्तीय सेवा विभाग ने 23 से 29 अगस्त 2014 के बीच यह उपलब्धि हासिल की।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत यूं बढ़ती गई खातों की संख्या

मार्च 2015 तक 14.72 करोड़, मार्च 2016 तक 21.43 करोड़, मार्च 2017 तक 28.17 करोड़, मार्च 2018 तक 31.44 करोड़, मार्च 2019 तक 35.27 करोड़,मार्च 2020 तक 38.33 करोड़, मार्च 2021 तक 42.20 करोड़, मार्च 2022 तक 45.06 करोड़, मार्च 2023 तक 48.65 करोड़, मार्च 2024 तक 51.95 करोड़,14 अगस्त 2024 तक 53.13 करोड़

– कनिष्क मिश्रा (डी.डी. न्यूज)

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आखरी अपडेट: 21st Dec 2024