प्रतिक्रिया | Saturday, July 27, 2024

03/08/23 | 12:43 pm

ई संजीवनी टेली-कंसल्टेशन: देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति, 14 करोड़ से अधिक लोगों को मिला परामर्श 

ई-संजीवनी टेली-कंसल्टेशन से देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति आई है। दरअसल, इसके माध्यम से नागरिकों को घर बैठे एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह आसानी से उपलब्ध हो रही है। यही वजह है कि करोड़ों की संख्या में आज देश की जनता इस सेवा का लाभ ले रही है। आज (गुरुवार) 3 अगस्त 2023 को देश में 14 करोड़ 'ई-संजीवनी टेली-कंसल्टेशन' का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। 

देश के नागरिकों के लिए 'संजीवनी' साबित हो रही 'ई संजीवनी'

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने ट्वीट करके कहा कि ई संजीवनी नागरिकों के लिए 'संजीवनी' साबित हो रही है। दूर-सुदूर क्षेत्रों में 'ई-संजीवनी टेली-कंसल्टेशन' के माध्यम से 14 करोड़ से अधिक स्पेशलिस्ट डॉक्टर के परामर्श दिये जा चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के लिए कार्य कर रही है। इस सेवा ने अस्पतालों पर भार कम करने के साथ ही मरीजों को डॉक्टरों से डिजिटल माध्यम यानी दूर रहकर परामर्श प्राप्त करने में सहायता की है। इससे लाभार्थियों के घरों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाकर गांव और शहर के बीच के अंतर को पाटने में सहायता मिली है।

2019 में शुरू की गई सेवा 

उल्लेखनीय है कि ई-संजीवनी ओपीडी के जरिए मरीज डॉक्टर से ऑनलाइन संपर्क कर सकते हैं। ई-संजीवनी ओपीडी का फायदा देश का हर नागरिक उठा सकता है। यहां मरीजों को डॉक्टर टेली-कंसल्टेशन मुफ्त में दिया जाता है। केंद्र सरकार द्वारा 2019 में शुरू की गई ऑनलाइन टेलीमेडिसिन सर्विस, ई-संजीवनी का लाभ अब तक कई करोड़ लोग उठा चुके हैं। 

घर बैठे ले सकते हैं लाभ

वहीं इसे ज्यादा से ज्यादा प्रमोट करने के लिए भी केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है। ‘ई-संजीवनी’ सेवा पैनडेमिक की स्थिति में देश के काफी काम आई है। लोग डॉक्टर के पास प्रत्यक्ष रूप से जाने की बजाय घर में ही बैठ कर डारेक्ट इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इससे उम्रदराज लोगों को काफी लाभ मिला है। इसके अलावा भारत के दुर्गम इलाकों में बसे लोगों को भी ‘ई-संजीवनी’ से काफी फायदा हुआ है। पेशेंट डायरेक्ट हब पर कॉल करके ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधी बातचीत करके भी मार्गदर्शन ले रहे हैं। याद हो, कोविड संकट के दौरान डॉक्टरों की बढ़ती मांग की स्थिति में से के पूर्व डॉक्टर्स भी इस सेवा से जुड़कर जनसेवा के लिए आगे आए थे। उन्होंने उस दौरान ऑनलाइन परामर्श सेवा के जरिए जरूरतमंदों की मदद की थी।

स्वास्थ्य सुविधा को सुलभ और सस्ता बनाने में कारगर 

स्वास्थ्य सुविधा को सुलभ और सस्ता बनाने में टेक्नॉलॉजी की भूमिका लगातार बढ़ रही है। इस फ्रेम में ‘ई-संजीवनी’ की बड़ी भूमिका रही है। भारत सरकार का फोकस हेल्थ सेक्टर में टेक्नॉलॉजी के अधिक से अधिक प्रयोग पर है। फिर चाहे वह डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से देशवासियों को मिलने वाली timely health-care की सुविधा के रूप में हो या फिर ई-संजीवनी जैसे टेली कंसल्टेशन के प्रयासों से घर बैठे डॉक्टरों से मिलने वाला ऑनलाइन कंसल्टेशन हो। 

किसी भी देश की अपनी तरह की पहली टेलीमेडिसिन पहल

ई-संजीवनी किसी भी देश की अपनी तरह की पहली टेलीमेडिसिन पहल है। इसके दो प्रकार हैं, जिसमें से एक ई-संजीवनी आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीमेडिसिन सेवा है और दूसरी ई संजीवनी ओपीडी सेवा है। जरूरतमंदों को इनके माध्यम से परामर्श दिया जाता है।

1. ई-संजीवनी आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र

भारत सरकार की आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र योजना के तहत एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के बीच टेलीमेडिसिन सेवा ग्रामीण क्षेत्रों और आइसोलेटेड समुदायों में सामान्य और विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए है। डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीमेडिसिन सेवा एक हब और स्पोक मॉडल पर आधारित है। ‘ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी’ स्पोक यानी एचडब्ल्यूसी में लाभार्थी (चिकित्सा सहायक व विभिन्न गतिविधियों में सक्षम व्यक्ति) और हब (तृतीयक स्वास्थ्य सुविधा, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज) में डॉक्टर व विशेषज्ञ के बीच वर्चुअल माध्यम से जुड़ाव को संभव बनाता है। यह हब डॉक्टरों और विशेषज्ञों के साथ स्पोक में लाभार्थी को (चिकित्सा सहायकों के जरिए) रियल टाइम वर्चुअल परामर्श की सुविधा प्रदान करता है।

वहीं, सेशन के अंत में तैयार किए गए ई-पर्चे का उपयोग दवाइयों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भौगोलिक स्थिति, पहुंच, लागत और दूरी की बाधाओं को दूर करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी की क्षमता का लाभ उठाकर अधिकतम संख्या में नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के एक दृष्टिकोण से ‘ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी’ को लागू किया गया था। 

2. ई-संजीवनी OPD

यह एक रोगी से डॉक्टर के बीच टेलीमेडिसिन सेवा है, जो लोगों को अपने घरों में ही रहकर आउट पेशेंट सेवाएं (OPD) प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। देश के सभी हिस्सों के नागरिकों ने ‘ई-संजीवनी ओपीडी’ को तेजी से और व्यापक रूप से अपनाया है। यह एंड्रॉइड और IOS आधारित स्मार्टफोन, दोनों के लिए एक मोबाइल ऐप के रूप में अवेलेबल है। 

विकसित भारत के लिए एक विकसित हेल्थ एंड वेलनेस इकोसिस्टम हो रहा तैयार 

दरअसल, आजादी के बाद अनेक दशकों तक भारत में स्वास्थ्य को लेकर एक इंटीग्रेटेड अप्रोच, एक लोंग टर्म विजन की कमी रही। मगर अब तस्वीर बदल रही है, क्योंकि सरकार ने हेल्थ केयर को सिर्फ हेल्थ मिनिस्ट्री तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि 'whole of the government' अप्रोच पर बल दिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में इलाज को अफोर्डेबल बनाना ही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। इसके लिए समय-समय पर सरकार द्वारा कई योजनाएं व सेवाएं भी शुरू की गई। जैसे- आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज को ये सुविधा देने के पीछे सरकार के मन में यह भाव है। इसके तहत अभी तक देश के करोड़ों मरीजों के लगभग 80 हजार करोड़ रुपए जो बीमारी में उपचार के लिए खर्च होने वाले थे वो खर्च होने से बचे हैं। 

देशभर में स्थापित करीब 9 हजार जनऔषधि केंद्रों पर बाजार से बहुत सस्ती कीमत पर दवाएं उपलब्ध हैं। इससे भी गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग सिर्फ दवाई खरीद करने में 20 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है। यानि सिर्फ 2 योजनाओं से ही अभी तक भारत के हमारे नागरिकों के 1 लाख करोड़ रुपए उनकी जेब में बचे हुए हैं। ठीक इसी प्रकार गंभीर बीमारियों के लिए देश में अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का होना भी बेहद जरूरी है। 

सरकार का एक प्रमुख फोकस इस बात पर भी रहा है कि लोगों को घर के पास ही टेस्टिंग की सुविधा मिले, प्राथमिक उपचार की बेहतर सुविधा हो। इसके लिए देशभर में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे हैं। इन सेंटर्स में डायबिटीज, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा है। वहीं पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत क्रिटिकल हेल्थ इंफ्रा को छोटे शहरों और कस्बों तक ले जाया जा रहा है। इससे छोटे शहरों में नए अस्पताल तो बन ही रहे हैं, साथ ही साथ हेल्थ सेक्टर से जुड़ा एक पूरा इकोसिस्टम भी विकसित हो रहा है। इसमें भी हेल्थ आंत्रप्रेन्योर के लिए, इन्वेस्टर्स के लिए, प्रोफेशनल्स के लिए अनेक नए अवसर बन रहे हैं।

अब 5G टेक्नॉलॉजी की वजह से इस सेक्टर में स्टार्टअप के लिए भी बहुत संभावनाएं बन रही हैं। ड्रोन टेक्नॉलॉजी की वजह से दवाओं की डिलिवरी और टेस्टिंग से जुड़े लॉजिस्टिक्स में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आते दिख रहा है। ये यूनिवर्सल हेल्थकेयर के हमारे प्रयासों को बल देगा। ये हमारे आंत्रप्रेन्योर के लिए भी बहुत बड़ा अवसर है। हमारे आंत्रप्रेन्योर ये सुनिश्चित करें कि हमें कोई भी टेक्नॉलॉजी अब इंपोर्ट करने से बचना चाहिए, आत्मनिर्भर बनना ही है। भारत सरकार इसके लिए जरूरी इंस्टीट्यूशनल रिफॉर्म्स भी कर रही है। इस प्रकार सबके प्रयास से ही विकसित भारत में एक विकसित हेल्थ एंड वेलनेस इकोसिस्टम तैयार किया जा सकता है। 

स्वदेशी रूप से विकसित है 'ई-संजीवनी'

ई-संजीवनी स्वदेशी रूप से विकसित प्लेटफॉर्म है। यह प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) की मोहाली शाखा में स्वास्थ्य सूचना विज्ञान समूह ने तैयार किया है, इसलिए यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक उदाहरण है। कई अनुभवी इंजीनियर उच्च प्रवाह क्षमता और उच्च सक्रियता अवधि सुनिश्चित करने के लिए निरंतर बैक एंड तकनीकी और परिचालन सहायता प्रदान कर रहे हैं। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 99.5 फीसदी से अधिक सक्रियता अवधि के साथ संचालित है।

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आखरी अपडेट: 26th Jul 2024