कार्बी युवा महोत्सव के स्वर्ण जयंती पर यानी पचास वर्ष पूरा करने पर समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल होंगी। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी समारोह असम के कार्बी आंगलोंग जिले के तारालांगसो में 12-19 जनवरी तक कार्बी पीपुल्स हॉल, तारालांगसो दीफू में आयोजित किया जाएगा।
कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) के मुख्य कार्यकारी सदस्य तुलीराम रोंगहांग ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर बताया कि “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 17 जनवरी 2024 को कार्बी युवा महोत्सव के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपनी सहमति जताई है”।
कार्बी युवा महोत्सव में शामिल होंगे कई गणमान्य
कार्बी युवा महोत्सव के अवसर पर विभिन्न राज्यों के गणमान्य की उपस्थित जिनमें असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया,मेघालय के राज्यपाल फागू चौहान,नागालैंड के राज्यपाल ला गणेशन,असम के मुख्यंमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा भी कार्यक्रम में शामिल होंगे।
पहली बार 1974 में आयोजित किया गया था यह उत्सव
कार्बी यूथ फेस्टिवल हर साल आयोजित किया जाता है और इसमें असम और देश के अन्य हिस्सों से हजारों कार्बी युवा संगीत और स्वदेशी आदिवासी खाद्य पदार्थों को एक साथ लाते हैं। एक जनजाति के रूप में कार्बी सबसे विविध और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाली जनजातियों में से एक है। दीफू कार्बी क्लब के कुछ उत्साही युवाओं द्वारा पहली बार दीफू 1974 में यह समारोह शुरू किया गया था, तब से लेकर आज तक यह एक त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है।
कार्बी यूथ फेस्टिवल कार्बी विरासत और संस्कृति का एक उत्सव है जो दीफू के पास सुंदर और सदाबहार तारालांगसो में अपने स्थायी स्थल के रूप में आयोजित किया जाता है। स्थायी उत्सव स्थल के लिए 1086 बीघे का क्षेत्र चुना गया था और ग्रीक मॉडल पर इसका निर्माण किया गया है।
कार्बी समुदाय की संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देता है यह महोत्सव
इन स्थलों को सिंग मिरजेंग और लॉन्ग मिरजेंग नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, सांस्कृतिक परिसर हरे-भरे परिवेश में ऊंचे बांस और छप्पर वाले चांग-घरों का एक समूह बनाया गया है, जो कार्बी लोगों के विशिष्ट घरों का परिचायक है। सप्ताह भर चलने वाला यह त्योहार न केवल कार्बी हिल्स के विभिन्न वर्गों के लोगों को आकर्षित करता है, बल्कि पूरे भारत और यहां तक कि भारत के बाहर के लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। 1974 में अपनी स्थापना के बाद इस त्योहार का उद्देश्य कार्बी समुदाय की संस्कृति और विरासत को वैश्विक समुदाय के साथ बढ़ावा देना और साझा करना है।