कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय देश की महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता है जिसका उद्देश्य विभिन्न सामाजिक-आर्थिक स्तरों और विभिन्न आयु की महिलाओं को रोजगार अवसर प्रदान करना है। देश में कमजोर वर्ग की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
इसी क्रम में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (एमओएमए) ने विशेष रूप से छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के लिए 'सीखो और कमाओ', 'उस्ताद' और 'नई मंजिल' नामक विभिन्न कौशल विकास योजनाएं लागू कीं। इन कौशल विकास योजनाओं में महिला प्रशिक्षुओं के लिए न्यूनतम 30% सीटें निर्धारित की गईं हैं। इनके अलावा, अल्पसंख्यक महिलाओं के नेतृत्व विकास के लिए 'नई रोशनी' नामक एक योजना भी लागू की गई।
योजनाओं का मुख्य उद्देश्य
यह योजनाएं विषयों पर नेतृत्व प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाती है। साथ ही योजनाओं का मुख्य उद्देश्य कौशल विकास, शिक्षा, महिला नेतृत्व और उद्यमिता के घटकों का उपयोग करके अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से कारीगर समुदायों की आजीविका में सुधार करना है। इन योजनाओं में महिला प्रशिक्षुओं के लिए सीटें निर्धारित होने से कमजोर आर्थिक स्थिति वाली अल्पसंख्यक महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
पीएम विकास योजना
'सीखो और कमाओ', 'उस्ताद' और 'नई मंजिल' योजनाओं को 'प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास)' नामक एक एकीकृत योजना में परिवर्तित कर दिया गया है। इन कौशल विकास योजना में महिला प्रशिक्षुओं के लिए न्यूनतम 30% सीटें निर्धारित की गई हैं।
पीएम विकास योजना के तीन घटक हैं:
1. कौशल और प्रशिक्षण (अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए 33% सीटें)
2. नेतृत्व और उद्यमिता (अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए 100%)
3. शिक्षा (अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए 50% सीटें)
ये घटक लाभार्थियों की आय बढ़ाने और ऋण और बाजार लिंकेज की सुविधा प्रदान करके सहायता प्रदान करने की योजना के अंतिम उद्देश्य में एक-दूसरे की सराहना करते हैं।
योजना से कितने लाभार्थियों को प्रशिक्षण मिला
पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष में, इन योजनाओं के तहत 36,492 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें 27,217 महिला लाभार्थी शामिल हैं, जो कुल लाभार्थियों का 74% से अधिक है।