प्रतिक्रिया | Tuesday, November 05, 2024

07/03/24 | 12:08 pm

ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में भारत अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत है : एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जापान आज भारत में ट्रांसफॉर्मेशन की गति की सराहना करे। एस जयशंकर 6 से 8 मार्च तक 3 दिवसीय यात्रा पर जापान में हैं, गुरुवार को उन्होंने टोक्यो में पहले रायसीना गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया। इससे पहले उन्होंने दक्षिण कोरिया का दौरा किया, जहां अपने प्रवास के दौरान उन्होंने शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। एस जयशंकर ने कहा कि ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में भारत अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत है। 

प्राप्त जानकारियों के अनुसार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, “मुझे लगता है यह महत्वपूर्ण है कि जापान आज भारत में बदलाव की गति की सराहना करे। यह एक ऐसा देश है, जो आज हर रोज 28 किमी राजमार्ग बना रहा है, जो हर साल 8 नए हवाई अड्डे बना रहा है। पिछले 10 वर्षों से हर दिन 2  नए कॉलेज बना रहा है”। 

भारत के समृद्ध विकास पर जोर देते हुए, जयशंकर ने कहा कि “भारत का यह ट्रांसफॉर्मेशन हमें अधिक प्रभावी और विश्वसनीय भागीदार बनाता है, चाहे वह व्यापार करने में आसानी हो, जीवन जीने में आसानी हो, डिजिटल डिलीवरी, स्टार्टअप और नवाचार संस्कृति हो या अंतरराष्ट्रीय एजेंडे को आकार देना हो, स्पष्ट रूप से भारत आज एक बहुत अलग देश है।” 

उन्होंने कहा कि भारत आज अपने पूर्व और पश्चिम दोनों ओर प्रमुख गलियारों पर काम कर रहा है। उनमें अरब प्रायद्वीप और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे और पूर्व की ओर त्रिपक्षीय राजमार्ग के माध्यम से आईएमएसी (भारत मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर) पहल शामिल है। पूरा होने पर ये गलियारे एशिया के माध्यम से अटलांटिक को प्रशांत से जोड़ देंगे। टोक्यो में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा आयोजित रायसीना गोलमेज सम्मेलन में एस  जयशंकर ने कहा कि पारदर्शी और सहयोगात्मक कनेक्टिविटी की आवश्यकता के बारे में भारत और जापान के विचार समान हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि स्वतंत्र, खुली, पारदर्शी और नियम-आधारित व्यवस्था के पक्ष में संतुलन दोनों देशों के साझा हित में है।

विदेश मंत्री ने ग्लोबल साउथ पर भी विस्तार से बात की और रेखांकित किया कि भारत जिम्मेदारी के प्रति सचेत है। एस जयशंकर ने कहा कि  ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में, भारत जिम्मेदारी के प्रति सचेत है, हमारे विकास प्रयास आज विभिन्न महाद्वीपों के 78 देशों तक फैले हुए हैं, क्या भारत और जापान अपनी विकास प्रणालियों के संबंध में समन्वय कर सकते हैं ? उन्होंने आगे कहा कि समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा से संबंधित चिंताएं विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गई है। 

एस जयशंकर ने लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर यमन के हौथी संगठन के हाल के हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि समुद्री सुरक्षा गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने व्यापक क्षेत्र के लाभ के लिए दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने का आह्वान किया। 

विदेश मंत्री विशेष रूप से 6 से 8 मार्च तक जापान की यात्रा पर हैं। इससे पहले उन्होंने दक्षिण कोरिया का दौरा किया, जहां अपने प्रवास के दौरान उन्होंने शीर्ष नेताओं से मुलाकात की ।

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आखरी अपडेट: 6th Nov 2024