विधि आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने अध्यक्ष पद से 17 महीने के कार्यकाल के बाद इस्तीफा दे दिया है। आज बुधवार को वे लोकपाल के तीन न्यायिक सदस्यों में से एक सदस्य के रूप में शपथ लेंगे। गौरतलब हो कि न्यायमूर्ति अवस्थी ने नवंबर 2022 में पांच सदस्यों के साथ भारत के विधि आयोग के अध्यक्षपद के रूप में अपना कार्यकाल ग्रहण किया था।
इससे पहले उन्होंने बीते मंगलवार को कानून एवं न्याय मंत्रालय को अपना इस्तीफा सौंपा। भारत के राष्ट्रपति ने हाल ही में न्यायमूर्ति लिंगप्पा स्वामी, न्यायमूर्ति संजय यादव और न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी को लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया है। विधि आयोग से पहले न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी 11 अक्टूबर, 2021 से 2 जुलाई, 2022 तक कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। 13 अप्रैल, 2009 से 10 अक्टूबर, 2021 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।
इससे पहले उन्होंने लखनऊ बेंच इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सिविल सेवा और शैक्षिक मामलों में प्रैक्टिस किया है। उन्होंने लखनऊ में भारत के सॉलिसिटर जनरल के सहायक के रूप में भी काम किया है।
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अनुसार, संगठन में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ अन्य सदस्य होते हैं और उन आठ सदस्यों में से चार न्यायिक सदस्य होते हैं जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं या रह चुके हैं। .
अन्य चार गैर-न्यायिक सदस्य निष्ठावान और उत्कृष्ट क्षमता वाले लोग हैं जिनके पास भ्रष्टाचार विरोधी नीति, सार्वजनिक प्रशासन, सतर्कता, बीमा और बैंकिंग सहित वित्त से संबंधित मामलों में कम से कम पच्चीस वर्षों का विशेष ज्ञान और विशेषज्ञता है।
माणिकराव खानविलकर हैं लोकपाल के वर्तमान अध्यक्ष
वहीं दूसरी ओर लोकपाल के नवनियुक्त अध्यक्ष, न्यायमूर्ति अजय माणिकराव खानविलकर, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर कार्य किया है। गौरतलब है कि लोकपाल के पास अपने केंद्र सरकार के सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करने के लिए अधिकार क्षेत्र है।