दिल्ली सरकार ने आज बुधवार को घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी में खराब होती वायु गुणवत्ता को देखते हुए दिल्ली सरकार और नगर निगम के तहत सभी सरकारी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारी घर से काम करेंगे जबकि बाकी 50% दफ्तर से काम करेंगे। राजधानी में बीते कुछ दिनों से वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है।
दिल्ली सरकार के आदेश में कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक दिल्ली सरकार और नगर निगम के तहत सभी सरकारी कार्यालय 50% कर्मचारियों के साथ काम करेंगे और बाकी कर्मचारी घर से काम करेंगे।”
इसके साथ ही सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने कार्यालयों में उपस्थित रहें और आवश्यकतानुसार कर्मचारियों को बुलाएं, ताकि सभी आवश्यक और आपातकालीन सार्वजनिक सेवाओं में किसी प्रकार की बाधा न आए। आदेश में यह भी कहा गया है कि अस्पताल, स्वास्थ्य सेवाएं, अग्निशमन विभाग,जेल, सार्वजनिक परिवहन, बिजली, पानी, सफाई और अन्य आवश्यक सेवाओं को इस आदेश से छूट दी गई है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है और तब तक जारी रहेगा जब तक ग्रैप (Graded Response Action Plan) का चौथा चरण प्रभावी है।
आज बुधवार की सुबह दिल्ली में वायु गुणवत्ता फिर से ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई। शहर के कई हिस्सों में धुंध की परत छाई रही, जिससे दृश्यता घट गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर 424 पर पहुंच गया। यह ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर आईआईटी कानपुर और अन्य केंद्रीय विभागों जैसे डीजीसीए, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय आदि की आपातकालीन बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि कृत्रिम बारिश के जरिए धुंध की परत को तोड़ा जाए। पिछले साल दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर की मदद से कृत्रिम बारिश की योजना बनाई थी। इस साल हमने अगस्त में ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन कई अनुरोधों के बावजूद बैठक नहीं हुई।”
दिल्ली में डब्ल्यूएचओ के सुरक्षित मानकों से कई गुना ज्यादा है PM2.5 का लेवल
गौरतलब है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई दिनों से ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है। PM2.5 का स्तर 400 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के पार पहुंच गया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सुरक्षित मानक 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कई गुना ज्यादा है। इसे देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रैप के चरण-4 को लागू किया है, जिसमें ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध और सार्वजनिक निर्माण कार्यों को रोकने जैसे कदम शामिल हैं।