तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) सुप्रीमो एन. चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा और नितिन गडकरी समेत कई अन्य गणमान्य मौजूद रहे।
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक यह चौथी बार और 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद दूसरी बार है जब नायडू प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाल रहे हैं। आंध्र प्रदेश के विभाजन से पहले 1995 में नायडू पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और उन्होंने लगातार नौ यानी साल 2004 तक राज्य का नेतृत्व किया। इसके बाद टीडीपी सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू 2014 में विभाजित आंध्र के मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता में एक बार फिर लौटे और 2019 तक सीएम के पद पर विराजमान रहे।
”अमरावती ही होगी आंध्र प्रदेश की एकमात्र राजधानी”
अब जब एक बार फिर एन. चंद्रबाबू नायडू राज्य के मुख्यमंत्री बन गए हैं तो राज्य की राजधानी का सिलसिला फिर शुरू हो गया है। बताना चाहेंगे टीडीपी सुप्रीमो एन. चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को यह घोषणा की है कि अमरावती ही आंध्र प्रदेश की राजधानी होगी। राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने शपथ ग्रहण से एक दिन पहले ही उन्होंने यह घोषणा की कि अमरावती राज्य की एकमात्र राजधानी होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2014 में एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने का फैसला किया था और इसके लिए एपी कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीसीआरडीए) की भी स्थापना की थी। उनके कार्यकाल के दौरान ही राजधानी निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ा। हालांकि, वाईएसआर कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद, उसने शासन के विकेंद्रीकरण का विचार पेश किया और तीन राजधानियों की योजना लेकर आई। इससे अमरावती के विकास कार्यों की गति धीमी हो गई।
अमरावती को मिलने जा रहा नया जीवन
अब तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अमरावती को पांच साल बाद राज्य में चंद्रबाबू नायडू की सत्ता में वापसी के साथ नया जीवन मिलने जा रहा है। अमरावती को पहले स्मार्ट सिटीज मिशन में शामिल किया गया था, लेकिन जगन मोहन रेड्डी की तीन राजधानी शहर योजना के कारण इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
ऐसे में इस बार अमरावती पर पहले के अनुमान से भी ज्यादा लागत लगने जा रही है। इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार, कृष्णा नदी के तट पर शहर में बुनियादी ढांचे और विभिन्न सरकारी भवनों के निर्माण के लिए अब लगभग 40,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जो कि नायडू के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले कार्यकाल के दौरान आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एपीसीआरडीए) द्वारा अनुमानित 21,000 करोड़ रुपये के व्यय से लगभग दोगुना होगी।
अमरावती, जिसे कभी “भविष्य का शहर” कहा गया
गौरतलब हो, अमरावती, जिसे कभी “भविष्य का शहर” कहा गया, 2019 में नायडू की टीडीपी के हराने के बाद वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के जगन मोहन रेड्डी के आंध्र प्रदेश में सत्ता में आने और राजधानी योजना को छोड़ने के बाद उपेक्षा का शिकार हो गई। जबकि नायडू के पिछले कार्यकाल के दौरान, अमरावती के विकास पर पहले ही 10,500 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके थे। राज्य के रियल एस्टेट विशेषज्ञों ने कहा कि इमारतों के लिए 10,000-12,000 करोड़ रुपये की और जरूरत है। किसानों ने परियोजना के लिए 33,000 एकड़ जमीन दी, जबकि सरकार के पास करीब 4,000 एकड़ जमीन है।
पहले की योजना के अनुसार, अमरावती शहर 217 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें सिविक और मनोरंजन जैसे छह अलग-अलग क्लस्टर हैं। सिविक क्लस्टर खुद 1,600 एकड़ में फैला हुआ था। शहर में एक दर्जन से अधिक शहरी प्लाजा होने थे, जो सभी अक्षय ऊर्जा से संचालित होते।
इस संबंध में प्रसिद्ध आर्किटेक्ट हफीज कॉन्ट्रैक्टर, जो शहर की मास्टर प्लानिंग और फोस्टर + पार्टनर्स के साथ उच्च न्यायालय और विधानसभा भवनों के डिजाइन में शामिल थे, ने कहा कि अगर नई दिल्ली अगले 100 वर्षों के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाई गई थी, तो अमरावती “भविष्य का शहर” होगा।
बताना चाहेंगे मुंबई में इंपीरियल टावर्स और डीवाई पाटिल स्टेडियम जैसी कई प्रतिष्ठित इमारतों को डिजाइन करने के लिए मशहूर इस कॉन्ट्रैक्टर ने कहा कि यह पूरी तरह से नया शहर होगा जिसमें चौड़ी सड़कें, फ्लाईओवर, अंडरपास, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और एक मेट्रो ट्रेन नेटवर्क होगा।
लोग बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों में पलायन करते थे। अमरावती एक नया आईटी हब होगा और भारी रोजगार पैदा करेगा। अमरावती में पानी के अच्छे स्रोत हैं, जबकि बेंगलुरु और हैदराबाद में हमेशा पानी की समस्या रहती है।
तीन राजधानियों की योजना स्थगित
फिलहाल, एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है कि एनके प्रसाद के मुख्य सचिव के रूप में कार्यभार संभालने के दो दिन के भीतर ही राजधानी क्षेत्र के काम प्राथमिकता के आधार पर फिर से शुरू हो गए हैं। वहीं मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने स्पष्ट किया है कि तीन राजधानियों की योजना को स्थगित कर दिया गया है। मुख्य सचिव ने कहा कि पिछले चार-पांच दिनों से सीआरडीए के अधिकारी अमरावती सीड एक्सिस रोड और करकट्टा (नदी बांध) रोड सहित मास्टर प्लान में प्रमुख सड़कों पर 83 क्रेन और टिपर लगाकर राजधानी क्षेत्र में छोटी-मोटी मरम्मत, झाड़ियों और पेड़ों को हटाने और बिजली की रोशनी बहाल करने का काम कर रहे हैं।