केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने विभिन्न सुधारों और बेहतर प्रशासन के जरिए बैंकिंग क्षेत्र का कायापलट किया है। इसके दम पर बैंकों ने 2014 से लेकर 2023 के बीच 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक डूबे कर्ज की वसूली की है। आजादी के 68 साल बीत जाने के बावजूद, 68% से भी कम आबादी के पास बैंक खाते हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग को कर्जदारों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो ऊंची दरें वसूलते हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे जिन्होंने बैंकिंग सेवाओं तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए जन धन और मुद्रा जैसी समावेशी योजनाएं शुरू कीं।
बैंकिंग सेक्टर को देश की अर्थव्यवस्था का रीढ़
निर्मला सीतारमण ने ‘एक्स’ पोस्ट पर जारी एक बयान में बताया कि बैंकिंग सेक्टर को देश की अर्थव्यवस्था का रीढ़ माना जाता है। हाल में भारत के बैंकिंग क्षेत्र ने 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ दर्ज करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह 2014 से पहले की स्थिति के बिल्कुल विपरीत है, जब इंडियन नेशनल कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र को खराब ऋणों, निहित स्वार्थों, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के दलदल में बदल दिया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने करीब 1,105 बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच की
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करीब 1,105 बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच की है, जिसके तहत 64,920 करोड़ रुपये की अपराध आय जब्त की गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि दिसंबर 2023 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को 15,183 करोड़ रुपये की संपत्ति वापस कर दी गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने डूबे कर्ज (खासकर बड़े डिफॉल्टर से) की वसूली में कोई ढील नहीं बरती है, यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।
विपक्षी नेता अब भी ‘राइट-ऑफ’ और माफी के बीच का अंतर नहीं कर पा रहे
वित्त मंत्री ने कहा कि यह दुख की बात है कि विपक्षी नेता अब भी ‘राइट-ऑफ’ और माफी के बीच का अंतर नहीं कर पा रहे हैं। आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ‘राइट-ऑफ’ के बाद बैंक सक्रिय रूप से डूबे कर्ज की वसूली करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी उद्योगपति के कर्ज को ‘माफ’ नहीं किया गया है। 2014 से 2023 के बीच बैंकों ने खराब ऋणों से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है।
हमने वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में बैंकों को भागीदार माना
निर्मला सीतारमण ने कहा कि आजादी के 68 साल बीत जाने के बावजूद, 68% से भी कम आबादी के पास बैंक खाते हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग को कर्जदारों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो ऊंची दरें वसूलते हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे जिन्होंने बैंकिंग सेवाओं तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए जन धन और मुद्रा जैसी समावेशी योजनाएं शुरू कीं। हमने वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में बैंकों को भागीदार माना है। 52 करोड़ से ज़्यादा प्रधानमंत्री जन धन योजना खाते हैं, जिनमें 2.31 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा जमा हैं। 55% से ज़्यादा जन धन खाते महिलाओं के हैं और 66% से ज़्यादा ग्रामीण इलाकों में हैं। कोविड के दौरान 20.64 करोड़ महिलाओं को सीधे उनके जन धन खातों में पैसे मिले।